नई दिल्ली (जेएनएन)। शेयर बाजार के लिहाज से हफ्ते की शुरूआत खराब रही। पहले की कारोबारी सत्र में बाजार में मुनाफावसूली हावी दिखी। प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी आधा फीसद तक टूट गए। करीब 11:30 बजे सेंसेक्स 132 अंकों की गिरावट के साथ 33181 के स्तर पर और निफ्टी 55 अंकों की कमजोरी के साथ 10266 के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। बाजार की गिरावट में सबसे ज्यादा कमजोरी मेटल, रियल्टी और फार्मा शेयरों में देखने को मिली।
बाजार की गिरावट में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर निफ्टी मिडकैप 0.22 फीसद की गिरावट के साथ 19532 के स्तर पर है। वहीं निफ्टी स्मॉलकैप इंडडेक्स 0.19 फीसद की गिरावट के साथ 8543 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
इसके अलावा सेक्टोरियल इंडेक्स की बात करें तो सबसे ज्यादा गिरावट निफ्टी रियल्टी 1.58 फीसद की गिरावट के साथ 301.45 के स्तर पर, निफ्टी मेटल 1.20 फीसद की गिरावट के साथ 3819 के स्तर, निफ्टी फार्मा 1.31 फीसद की गिरावट के साथ 9189 के स्तर पर कारोबार कर रहे हैं। इसके अलावा जहां गिरावट देखने को मिल रही है उनमें एफएमसीजी, फाइनेंस सेक्टर, ऑटो और बैंकिंग सेक्टर शामिल हैं। जहां तेजी देखने को मिल रही है उनमें आईटी और पीएसयू बैंकिंग सेक्टर है।
दिग्गज शेयरों की बात करें तो निफ्टी में शुमार शेयरों में एमएंडएम, एक्सिस बैंक, टीसीएस, एसबीआई और टेक महिंद्रा टॉप गेनर हैं। वहीं टॉप लूजर ऑरो फॉर्मा, वेदांता लिमिटेड, ओएनसीजी, बीपीसीएल और एलएंडटी के शेयर हैं।
विशेषज्ञों का नजरिया
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि इस हफ्ते थोक और खुदरा महंगाई के आंकड़े आने हैं। निवेशक इन पर नजर रखेंगे। इसके अलावा क्रूड के दाम बढ़ोतरी का मौजूदा ट्रेंड बने रहने से भी निवेशकों की धारणा पर असर पड़ेगा। इस हफ्ते आइडिया सेलुलर, एनएमडीसी, स्पाइसजेट और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के तिमाही नतीजे भी जारी होने हैं। बाजार की दशा और दिशा तय करने में इनकी भूमिका भी रहेगी।
कोटक सिक्योरिटीज की टीना विरमानी ने कहा, ‘इस हफ्ते मध्य-पूर्व की राजनीतिक गतिविधियों और क्रूड की कीमतों पर नजर रहेगी। इसका कारण मध्य-पूर्व में बढ़ता तनाव और अमेरिका में तेल उत्पादन में बढ़ोतरी है। घरेलू मोर्चे पर कंपनियों के नतीजे भी निवेशकों की धारणा प्रभावित करेंगे।’ इस बीच, औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सितंबर में घटकर 3.8 फीसद रही। इसका कारण मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का कमजोर प्रदर्शन और उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में गिरावट है। इसका भी बाजार पर असर देखने को मिल सकता है। हालांकि जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई रोजमर्रा की वस्तुओं पर टैक्स घटाए जाने से उपभोक्ता वस्तुओं के शेयर फायदे में रह सकते हैं।