भारत में भले ही कुछ राजनीतिक लोग रामसेतु को काल्पनिक बताते हों, पर अमेरिकी भूगर्भ वैज्ञानिकों की एक टीम ने रामसेतु के अस्तित्व पर मुहर लगा दी है. अमेरिकी आर्कियोलॉजिस्ट की टीम ने सेतु स्थल के पत्थरों और बालू के सैटेलाइट से मिले चित्रों का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने रामसेतु के अस्तित्व के दावे को सच बताया है.
वैज्ञानिकों ने इसको एक सुपर ह्यूमन एचीवमेंट बताया है. अध्ययन रिपोर्ट की मानें तो भारत-श्रीलंका के बीच 30 मील के क्षेत्र में बालू की चट्टानें पूरी तरह से प्राकृतिक हैं, लेकिन उन पर रखे गए पत्थर कहीं और से लाए गए प्रतीत होते हैं. इसकी उम्र करीब सात हजार साल से भी पुरानी बताई जा रही है. वहीं रिपोर्ट में यहां मौजूद पत्थरों को भी करीब चार-पांच हजार साल पुराना बताया गया है
रामसेतु को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भले ही मुहर लगा दी हो, लेकिन देश में अब भी इस पर सियासी वाद-विवाद और चर्चा जारी है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि रामसेतु आस्था का विषय है. यह एक सांस्कृतिक विरासत है. उसके साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. यह बात हम पहले से कहते रहे हैं.
‘रामसेतु पर सवाल उठाने वाले गलत साबित हुए’
रविशंकर प्रसाद ने अमेरिकी रिसर्च रिपोर्ट का स्वागत करते हुए कहा कि हजारों वर्षों से राम का जीवन इस देश के कण-कण में है. अब विज्ञान ने भी पुष्टि की है. रामसेतु के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले गलत साबित हुए हैं
वहीं, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि अमेरिकी रिसर्च रिपोर्ट आने के बाद उन लोगों को जवाब मिला, जिन्होंने रामसेतु पर सवाल उठाए.
रामसेतु ऐतिहासिक तथ्य, भ्रम फैला रहे लोग
इस पर कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला का कहना है कि रामसेतु तो पहले से है. हम सब उसको मानते हैं. यह लोग तो भ्रम फैला रहे हैं. रामसेतु के ऐतिहासिक तथ्य को हम मानते हैं.
रामसेतु पर स्टैंड साफ करें राहुल गांधीः मनोज तिवारी
बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने कहा कि रामसेतु पर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए. राहुल गांधी को भी इस पर अपना स्टैंड साफ करना चाहिए.
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने रामसेतु को लेकर कहा है कि रामसेतु मानव निर्मित है. वैज्ञानिकों का कहना है कि रामायण में जिस सेतु का जिक्र है, वह 7 हजार साल पुराना है. अमेरिकी साइंस चैनल ने वैज्ञानिकों और आर्कियोलॉजिस्ट के अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया है.