नई दिल्ली: सरकार जल्द ही पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में ला सकती है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में कहा है कि सरकार इस मामले में राज्य सरकारों की राय का इंतजार कर रही है. जेटली ने कहा कि हम इस मामले में राज्यों के बीच आम राय बनाने का प्रयास कर रहे हैं और उम्मीद है कि ऐसा होगा. जेटली ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान टीडीपी सांसद देवेंद्र गौड़ के सवाल का जवाब देते समय यह बात कही. वित्त मंत्री ने कहा कि संविधान संशोधन विधेयक में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में रखा गया है, लेकिन इसको लागू कब करना है यह जीएसटी काउंसिल को तय करना है. हमें इसको लागू करने के लिए कानून में कोई फेरबदल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
फिलहाल अलग-अलग राज्यों में पेट्रोलियम उत्पादों पर अलग-अलग टैक्स दरें हैं, जबकि पेट्रोलियम मंत्रालय इसमें एकरूपता लाना चाहता है. मसलन डीजल पर दिल्ली में वैट 16.75 फीसदी है, जबकि मुंबई में यह 28.51 फीसदी है. जेटली ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम द्वारा जीएसटी परिषद में इस विषय को लंबित रखने के पूरक सवाल के सवाल में कहा कि जीएसटी परिषद की हर महीने होने वाली बैठकों में इस मुद्दे पर राज्यों के बीच आम राय के प्रयास जारी हैं.
एनडीए सरकार द्वारा जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन के मसौदे में पेट्रोलियम पदार्थों को शामिल नहीं करने के चिदंबरम के आरोप के जवाब में जेटली ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में पेश किए गए संशोधन विधेयक में भी पेट्रोलियम पदार्थ जीएसटी से बाहर थे. जेटली ने कहा कि इसके उलट मौजूदा सरकार पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में शामिल करने की पक्षधर है, इस बारे में सिर्फ राज्यों की सहमति का इंतजार है.
मई, 2014 के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी के बाद भी भारत में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में इजाफे के चिदंबरम के सवाल पर जेटली ने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कर लगाया जाता है. इस दिशा में केंद्रीय टैक्स कम करने की कवायद की गई है. इस बारे में राज्य सरकारों को भी अपनी भूमिका का निर्वाह करना चाहिए.