नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण यानि एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद रिटायर हो गए हैं. स्वतंत्र कुमार को उनके कड़े फैसलों के लिए जाना जाता है. साथ ही एक दिन में 209 मामलों का निपटारा करने और 56 केस में फैसला सुनाने का रिकॉर्ड भी जस्टिस स्वतंत्र कुमार के नाम है. साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद उन्हें एनजीटी का अध्यक्ष बनाया गया. जस्टिस स्वतंत्र ने जितनी सुर्खियां एनजीटी अध्यक्ष रहते बटोरी उतनी चर्चा उन्हें सुप्रीम कोर्ट के कार्यकाल के दौरान भी नहीं मिली थीं.
एनजीटी के अध्यक्ष के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण आदेश और फैसले दिए. वैष्णोदेवी श्रद्धालुओं की संख्या एक दिन में 50 हजार तक सिमित करने और अमरनाथ यात्रा के दौरान शांति बनाए रखने के उनके हालिया निर्देशों के कारण उन्हें विभिन्न वर्गों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी.
जस्टिस स्वतंत्र कुमार अपने कड़े और निष्पक्ष फैसलों के लिए जाने जाते हैं. माना जाता है कि शायद ही ऐसा कोई विभाग हो जिसे उन्होंने पर्यावरण को किसी न किसी रूप में नुकसान पहुंचाने पर नोटिस नहीं भेजा हो.
– न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद एनजीटी तब सबसे पहले चर्चा में आई जब उसने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली एनसीआर में दस साल से ज्यादा की डीजल और 10 साल से ज्यादा की पेट्रोल गाड़ियों के परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया. इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार ने भी राहत की अपील की लेकिन ट्रिब्यूनल ने किसी की नहीं सुनी.
– इसके बाद एनजीटी उस समय भी चर्चाओं में आया जब उसने न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता में आर्ट ऑफ लिविंग पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया. ट्रिब्यूनल ने ये जुर्माना आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से दिल्ली में यमुना किनारे हुए आयोजन के बाद प्रदूषण फैलाने के आरोप में लगाया. इस मामले में आर्ट ऑफ लिविंग हाईकोर्ट भी पहुंचा लेकिन उसे वहां से भी राहत नहीं मिली. ये मुद्दा इसलिए भी बड़ा था क्योंकि जिस कार्यक्रम के कारण एनजीटी ने ये कदम उठाया, उसमें प्रधानमंत्री मोदी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत तमाम बड़ी हस्तियों ने भी शिरकत की थी.
– एनजीटी ने कचरा प्रबंधन में असफल रहने पर आनंद विहार, विवेक विहार, शाहदरा और शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया था. ये फैसला सरकारी संस्थाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकेत था.
– एनजीटी ने स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता में ही गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए उसके किनारों को नो डेवलेपमेंट जोन घोषित किया था. इसके अलावा गंगा किनारे से 500 मीटर की दूरी में कचरे के निस्तारण पर भी रोक लगाते हुए 50 हजार के आर्थिक दंड का भी प्रावधान किया गया था.
– साल 2015 में एनजीटी ने फरीदाबाद के क्यूआरजी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पर 12 करोड़ का जुर्माना लगाया था, जिसने बाकी अस्पताल प्रबंधनों के होश उड़ा दिए थे. एनजीटी ने अस्पताल पर यह कार्रवाई बिना इजाजत के निर्माण करने और तय मानक से ज्यादा निर्माण करने पर की थी.