सीओल की ड्राइवरलेस मेट्रो की पूरी कहानी

दिल्ली में मेट्रो डिपो में ड्राइवरलेस ट्रेन के साथ हुए हादसे के बाद अब बिना ड्राइवर के चलने वाली ट्रेन को लेकर तमाम आशंकाएं मुसाफिर जता रहे हैं. लेकिन दुनिया में जहां भी यह ट्रेन चलती है, वहां इस सिस्टम ने कामयाबी हासिल की है. चलिए आपको साउथ कोरिया की राजधानी सीओल ले चलते हैं, जहां ड्राइवरलेस ट्रेन कामयाबी के साथ चल रही है.

दुनियाभर में महज़ 600 किलोमीटर की मेट्रो लाइन है, जहां ड्राइवर के बिना मेट्रो ट्रेन चलती है. साउथ कोरिया के सबवे नेटवर्क की शिनबनडंग डीएक्स लाइन भी इसमें शुमार है. आइए सबसे पहले आपको दुनिया की इस बेहतरीन ट्रेन की सवारी कराते हैं.

ज़मीन के कई मीटर नीचे हवा से बातें करती है सीओल की मेट्रो. नाम है शिनबुनडंग मेट्रो की डीएक्स लाइन. इसकी खासियत ये है कि इस हवा से बातें करती मेट्रो में मुसाफिर तो हैं, लेकिन ड्राइवर नहीं है. ड्राइवर का केबिन भी नहीं होता.

जी हां, बिना ड्राइवर के दौड़ती है ये मेट्रो और वो भी पूरी रफ्तार से. 31 किलोमीटर का ये सफर पूरी तरह से बिना ड्राइवर के तय करती है. इस दौरान ये बिना डाइवर वाली मेट्रो 12 स्टेशनों पर रुकती है, फिर रफ्तार पकड़ती है और मुसाफिरों को अगले स्टेशन तक पहुंचाती है. सीओल के गंगनम स्टेशन से ग्वांग्यो स्टेशन के बीच 31 किलोमीटर और 12 स्टेशनों का सफर तय करने में इस डाइवरलेस ट्रेन को महज़ 37 मिनट लगते हैं.

सीओल में 2011 में ड्राइवरलेस ट्रेन के लिए इस लाइन की शुरुआत की गई थी. ये साउथ कोरिया की दूसरी लाइन है, जहां इसीतरह की ड्राइवरलेस ट्रेन दौड़ाई जाती है. पूरा कंट्रोल दूर कहीं बने ओसीसी यानि आपरेशनल कंट्रोल रूम से होता है. ये लाइन सीबीटीसी सिस्टम यानि कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम पर काम करती है. इस सिस्टम में ट्रेनों के बीच टू वे डिजिटल रेडियो कम्यूनिकेशन होता है और सभी ट्रेनें एक दूसरे से कनेक्टेड होती हैं.

ट्रेन के भीतर लगे सिग्नलिंग डिवाइस, ट्रैक पर लगे सिग्नलिंग डिवाइस सेंट्रल सर्वर सेंटर से वायरलेस कम्यूनिकेश के ज़रिए वास्तविक समय यानि रीयल टाइम कम्यूनिकेशन करते हैं. इसी सिस्टम की वजह से सभी ट्रेन डिजिटल कम्यूनिकेशन के ज़रिए सिग्नल लेती हैं और अपने निर्धारित रूट और वक्त पर आटोमेटिक कमांड के जरिए दौड़ती, रुकती और फिर रफ्तार पकड़ती रहती हैं.

इस ट्रेन में ड्राइवर नहीं होता, लेकिन मुसाफिरों की मदद के लिए ट्रेन में तमाम सुरक्षा इंतजाम हैं. यहां कंट्रोल रूम से संपर्क करने के लिए हर दरवाजे के पास टाकिंग डिवाइस लगे हैं, जिनसे बटन दबाकर कभी भी कंट्रोल रूम में बात की जा सकती है. यही नहीं पूरी ट्रेन रीयल टाइम आउटपुट के साथ स्मार्ट सीसीटीवी कैमरों से लैस है. इन कैमरों की कंट्रोल रूम से मानिटरिंग की जाती है. साथ ही अगर कहीं कुछ असमान्य घटना ट्रेन के अंदर होती हुई दिखायी देती है, तो यहां लगे इंटेलिजेंट कैमरे खुद ब खुद उस जगह पर फोकस करके कंट्रोल में अलर्ट अलार्म भेज देते हैं।

दिल्ली में पहली बार तीसरे फेज की मेट्रो में ड्राइवरलेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. जनकपुरी से नोएडा के बोटानिकल गार्डन तक की लाइन पर यूटीओ यानि अनअटेंडेड ट्रेन आपरेशन सिस्टम से ट्रेन चलाई जाएगी. जिसमें ट्रेन में किसी ऑपरेटर या ड्राइवर के रहने की ज़रूरत नहीं है. हालांकि डीएमआरसी ने तय किया है कि शुरुआत के साल में मेट्रो ट्रेनों में आपरेटर रखा जाएगा, ताकि लोगों में भरोसा पैदा किया जा सके और किसी तकनीकी खराबी की स्थिति में सफर कर रहे मुसाफिरों में कोई पैनिक न हो.

दुनियाभर में अभी छह देशों में ही ड्राइवरलेस ट्रेन चलायी जा रही हैं और करीब 600 किलोमीटर का नेटवर्क है, जहां इस तरह की अनअटेंडेड ट्रेन ऑपरेशन के जरिए मेट्रो चलाई जाती है. भारत इस कड़ी में सातवां देश है. इस लाइन के लिए दिल्ली मेट्रो ने साउथ कोरिया से ही ट्रेन आयात की है और टेक्नोलॉजी का सपोर्ट लिया है. इसके लिए हाईलेवल का कम्यूनिकेश और सिग्नलिंग सिस्टम तैयार कराया गया है.

ट्रेन में ड्राइवर भले ही न हो, लेकिन ट्रेन के हर मूवमेंट पर नज़र होती है. आटोमेटिक सिस्टम में यूं तो गलती की गुंजाइश नहीं होती, लेकिन फिर भी ऑपरेशन कंट्रोल रूम से हर जगह न सिर्फ मॉनिटर किया जाता है, बल्कि तकनीकी खराबी की स्थिति में तुरंत रिस्पांस भी किया जाता है.

ड्राइवरलैस ट्रेन सिस्टम के ऑपरेशनल कंट्रोल रूम से ट्रेनों के हर मूवमेंट पर नज़र रखी जाती है। कौन सी ट्रेन कहां है, किस स्पीड से चल रही है, किस स्टेशन पर रुकन है, सबकुछ आटोमेटिक है. साथ ही कंट्रोल रूम से ये लगातार जांचा जाता रहता है कि सबकुछ ठीक चल रहा है या नहीं।

हर ट्रेन के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे की लाइव तस्वीरें भी कंट्रोल रूम में हमेशा नज़र आती रहती हैं. इससे यात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाती है, साथ ही अगर ट्रेन के भीतर किसी संपर्क या जानकारी की ज़रूरत हो तो इन कैमरों के जरिेए उसको अंजाम दिया जाता है.

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