नई दिल्ली: सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 83 स्वदेश निर्मित हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ की खरीदारी का रास्ता साफ कर दिया है. तेजस विमान की खरीदारी के प्रस्ताव वाले सरकार के इस कदम के से लड़ाकू विमानों की कमी का सामना कर रही भारतीय वायुसेना जल्द ही और ताकतवर होगी. उम्मीद की जा रही है कि तेजस लड़ाकू विमानों का सौदा करीब 60 हजार करोड़ होगा. यह घरेलू रक्षा क्षेत्र में सरकार द्वारा स्वीकृत अब तक का सबसे बड़ा सौदा होगा और यह सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ के अंतर्गत रक्षा विनिर्माण कार्यक्रम को बढ़ावा देगा.
लड़ाकू विमान तेजस के लिए यह सबसे बड़ा प्रोत्साहन है, जो करीब तीन दशक से विकास प्रक्रिया में रहा और इसी साल तेजस इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल हुआ है. इस अनुबंध की प्रतिस्पर्धा में कोई अन्य कंपनी नहीं है. रक्षा मंत्रालय ने इस खरीदारी के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स को ‘प्रस्ताव आग्रह’ जारी किया है और यह प्रस्ताव सुपरसोनिक लड़ाकू विमान के टेंडर को निश्चित रूप से आगे बढ़ाएगा.
फिलहाल, भारतीय वायु सेना का पहला तेजस स्क्वाड्रन पांच तेजस जेट विमानों का संचालन कर रहा है, जिसे प्रारंभिक ऑपरेटिंग क्षमता या आईओसी कॉन्फ़िगरेशन के रूप में जाना जाता है. इस प्रकार के क्षमताओं के विमान पर भारतीय वायुसेना को पूर्ण उम्मीद नहीं है. इस कॉन्फिगरेशन में अन्य 15 जेट मौजूद हैं, जो वर्तमान में कतार में हैं. इसके अलावा, फाइनल ऑपरेटिंग कॉन्फिगरेशन या एफओसी में अन्य 20 जेट्स का निर्माण तब किया जाएगा, जब एक बार लड़ाकू विमान लंबे समय तक चलने वाले परीक्षणों की सीरीज पूरी कर लेंगे जो वर्तमान में हो रहा है. हालांकि, यह कॉन्फिगरेशन भारतीय वायु सेना को मंजूर है.
तेजस एमके -1 ए में इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं की सुविधा भी शामिल है, जिसमें दुश्मन जेट विमानों या सतह से हवाई मिसाइल प्रणाली के रडार को भ्रमित करने के लिए एक जैमर शामिल होगा. इस जैमर को या तो जेट के पंख से बाहर रखा जाएगा, या विमान के हवाई जहाज़ के भीतर आंशिक रूप से धंसा होगा.
तो इस तरह से तेजस एमके -1 ए सेवा में वर्तमान में जेट के प्रकार की तुलना में कहीं ज्यादा सुयोग्य होगी. यह भारतीय वायु सेना के इंजीनियरों और पायलटों द्वारा सुझाए गए दर्जनों छोटे संशोधनों को शामिल करने के माध्यम से किया जाएगा. यह भारतीय वायुसेना के लिए एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है, जो गारंटी चाहता है कि मिशन के लिए जब भी तेजस की जरूरत हो, तब वो उपलब्ध हो.
बता दें कि तेजस हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) है और वायुसेना 40 विमानों का ऑर्डर पहले ही एचएएल को दे चुकी है. खरीद से संबंधित फैसले लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई रक्षा खरीद परिषद ने पिछले साल नवंबर में करीब 60 हजार करोड़ रुपये की लागत से वायुसेना के लिए 83 तेजस एमके-1ए विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी.