2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में गुरुवार को सीबीआई विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. इस मामले में फंसे सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. करीब 6 साल बाद इस मामले में फैसला आया है.
इन 6 सालों के दौरान टेलीकॉम सेक्टर भी काफी बदल चुका है. 2जी स्पेक्ट्रम ने टेलीकॉम सेक्टर को लेकर जहां सरकार को अपनी नीतियां बदलने पर मजबूर किया है वहीं, कॉरपोरेट्स ने भी अपनी रणनीति में भी बड़ा बदलाव किया है.2-जी स्पेक्ट्रम से जुड़े इस घोटाले के सामने आने के बाद सरकार ने अपनी नीतियों में बड़ा बदलाव किया और स्पेक्ट्रम बेचने का तरीका बदल दिया. अब स्पेक्ट्रम नीलामी के जरिये बेचे जाते हैं. 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने कई के टेलीकॉम लाइसेंस रद्द कर दिए थे. इसकी वजह से विदेशी टेलीकॉम कंपनियों ने भी भारत में अपना कारोबार शुरू करने से अपने हाथ पीछे खींचना शुरू कर दिया था.
इस घोटाले का असर बैंकों की तरफ से टेलीकॉम कंपनियों को मिलने वाले लोन पर भी पड़ा. इसी साल की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक ने टेलीकॉम सेक्टर को लेकर रेड फ्लैग जारी किया था.
उसने इस दौरान बैंकों से कहा था कि टेलीकॉम सेक्टर को लेकर अपने रुझान की समीक्षा करें. इसके अलावा सरकार ने अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन भी किया है, जो टेलीकॉम सेक्टर का दबाव कम करने के लिए उपाय ढूंढ़ने में जुटी हुई