पूजा भट्ट ने महिलाओं के मुद्दे पर तल्ख टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि जब महिलाएं उग्र हो जाती हैं, तो लोगों को परेशानी पैदा होने लगती है. पूजा ने अपने पिता और फिल्म निर्माता महेश भट्ट के साथ रेडियो कार्यक्रम ‘भट्ट नेचुरली’ के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिरकत की.
इस दौरान पूजा भट्ट ने कहा, हमारे देश में महिलाएं जब तक सीता या सावित्री हैं, तब तक लोग सहज रहते हैं, लेकिन जब वे मां काली का रूप ले लेती हैं, तो सभी के लिए समस्या खड़ी हो जाती है. दुर्भाग्य से जब एक महिला साफ तौर पर बात करती है तो लोगों को लगता है कि वह गुस्से में है, लेकिन जब महेशजी (महेश भट्ट) एक निश्चित स्वर में बोलते हैं तो लोगों को लगता है कि उनका रवैया तीखा है.
पूजा ने आगे कहा, ‘जब महिला सुंदर है और अपने बारे में साफ बोलती है और ना करती है तो लोग परेशान क्यों हो जाते हैं और सोचते हैं कि वह गुस्से में है. एक चीज मैं जानती हूं कि मैं क्या चाहती हूं और सबसे जरूरी क्या है. मैं जानती हूं कि मैं क्या नहीं चाहती.’
बता दें कि इसी साल अक्टूबर में पूजा ने एक किताब लिखने की घोषणा की थी. ये उनके शराब की आदत से जूझने पर होगी. किताब अगले साल रिलीज होगी. पूजा ने कहा, ‘मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगी कि यह आत्मकथा नहीं है. 45 साल की उम्र में, मैं अपनी आत्मकथा लिखने के लिए बहुत छोटी हूं. जैसा कि फिल्मी अंदाज में कहते हैं ‘पिक्चर अभी बाकी है दोस्त’, लेकिन मैं अपनी जर्नी के बारे में बात करके अपने जैसे और लोगों की मदद कर सकती हूं.
पूजा पिछले 10 महीने से शराब से दूर हैं. उन्होंने कहा, ‘यह आसान नहीं था लेकिन इतना मुश्किल भी नहीं था. इसकी योजना नहीं थी, लेकिन हमने भाई दूज पर किताब की घोषणा की है जब पारंपरिक रूप से भारतीयों का एक हिस्सा नव वर्ष की शुरुआत करता है. मेरी सभी फिल्मों की तरह मेरी इस यात्रा का भी समर्थन करें.’