नई दिल्ली: सरकार एवं विपक्ष, दोनों ही राज्यसभा में मौजूदा गतिरोध को दूर करने के लिए इच्छुक हैं जिसके कारण शीतकालीन सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ गया था. सूत्रों के अनुसार इस सप्ताह सदन में सामान्य ढंग से कामकाज हो सकता है. गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विरुद्ध की गयी कथित टिप्पणी को लेकर संसद में गतिरोध बना हुआ है. माना जा रहा है कि दोनों पक्ष मिलकर विचार विमर्श करेंगे और गतिरोध दूर करने का कोई समाधान निकालेंगे.
विपक्ष इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से माफी या स्पष्टीकरण की मांग कर रहा है जबकि सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. सूत्रों के अनुसार राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने दोनों पक्षों का साथ बैठकर कोई सामाधान निकालने का आह्वान किया था. सदन के नेता अरुण जेटली तथा नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के बीच कुछ बैठकें हुईं. दोनों की नायडू की उपस्थिति में भी बैठक हुई.
सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच एक दिन के भीतर बैठक हो सकती है ताकि बुधवार (27 दिसंबर) से उच्च सदन में सामान्य ढंग से कामकाज चल सके. सप्ताहांत के बाद क्रिसमस तथा 26 दिसम्बर को पूर्व निर्धारित अवकाश के पश्चात बुधवार (27 दिसंबर) को सदन की बैठक होगी. शीतकालीन सत्र शुरू होने बाद उच्च सदन में गतिरोध लगातार बना हुआ है. इसमें अपवाद गत मंगलवार को देखने को मिला था जब सदन में सामान्य कामकाज हुआ और दो विधेयक चर्चा के बाद पारित किये गये.
वहीं दूसरी ओर लोकसभा में इस सप्ताह तीन तलाक से संबंधित मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 पेश किया जायेगा. लोकसभा सचिवालय के एक परिपत्र से यह जानकारी प्राप्त हुई है. क्रिसमस की छुट्टियों के बाद बुधवार 27 दिसंबर से शुरू हो रहे सप्ताह में सरकार के कामकाज की सूची में इस विधेयक को पेश किये जाने का उल्लेख किया गया है. इसके अलावा पिछड़ा वर्ग आयोग से संबंधित संविधान 123वां संशोधन विधेयक 2017 में राज्यसभा में किये गए संशोधनों पर भी विचार किया जायेगा. यह पहले लोकसभा में पारित हो चुका है. राज्यसभा में इस विधेयक के संबंध में विपक्ष के संशोधन को मंजूरी मिली थी.
लोकसभा में सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जा से मुक्ति) संशोधन विधेयक 2017, प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं पुरावशेष संशोधन विधेयक 2017 को भी विचार करने के लिये सूचिबद्ध किया गया है. इसके साथ ही माल एवं सेवा कर (राज्यों को मुआवजा) संशोधन अध्यादेश 2017 के स्थान पर माल एवं सेवा कर (राज्यों को मुआवजा) संशोधन विधेयक 2017 को पारित कराने पर विचार किया जायेगा.