नई दिल्ली. जल्द ही बोर्ड परीक्षाओं में बढ़ा-चढ़ाकर नंबर देने का चलन जल्द ही बंद हो जाएगा. मॉडरेशन के नाम पर 12वीं के छात्रों को बढ़ा-चढ़ाकर नंबर न देने की केंद्र की अपील को 17 राज्यों ने मान लिया है. इसी साल 6 अक्टूबर को स्कूल शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप की ओर से जारी परामर्श में कहा गया था कि इकट्ठे मार्क्स (बंचिंग ऑफ मार्क्स) देना और उन्हें बढ़ाकर देने से बचना चाहिए. ग्रेस मार्क्स देने का चलन जारी रहना चाहिए ताकि कुछ ही नंबर से फेल होने की कगार पर खड़े छात्रों को पास किया जा सके. आपको बता दें कि मॉडरेटेड मार्क्स के चलते पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों का कट-ऑफ मार्क्स तेजी से ऊपर गया है.
सूत्रों के मुताबिक, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, असम, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, तेलंगाना और गोवा जैसे 17 राज्यों ने शिक्षा सचिव की चिट्ठी का जवाब भेजा है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के अनुसार इन 17 राज्यों में से कुछ राज्यों ने कहा कि उनके यहां इकट्ठे मार्क्स देने या मॉडरेट मार्किंग का चलन नहीं है. वहीं कुछ ने कहा कि केंद्र की चिट्ठी के बाद वे अपनी मॉडरेट मार्किंग की प्रक्रिया में सुधार करेंगे. खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और ओडिसा जैसे राज्यों ने अभी तक चिट्ठी का जवाब नहीं दिया है.
फिलहाल जारी रहेगी मॉडरेशन नीति
मॉडरेशन नीति के तहत छात्रों को ऐसे विषयों में अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं जिन्हें बेहद मुश्किल माना जाता है या प्रश्न-पत्रों के सेट में अंतर होने पर इस नीति के तहत मार्क्स दिया जाता है. जबकि ‘स्पाइकिंग’ के तहत बोर्डों की ओर से काफी बढ़ा-चढ़ाकर मार्क्स दिए जाते हैं ताकि पिछले साल के मुकाबले पासिंग परसेंट में बढ़ोतरी दिखाई जा सके. सीबीएसई और 32 अन्य बोर्डों ने 24 अप्रैल को एक बैठक में मॉडरेशन नीति खत्म करने पर आम राय बनाई थी. हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीएसई से कहा था कि वह नीति को रद्द ना करे. न्यायालय की दलील थी कि बीच में बदलाव लागू करने की सलाह नहीं दी जा सकती.
बराबर मार्किंग सुनिश्चित करने के लिए बनी कमिटी
केंद्र ने 2018 में 12वीं परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों के लिए एकसमान मार्किंग सुनिश्चित करने के लिए एक समिति का गठन किया है ताकि बढ़ा-चढ़ाकर नंबर दिए जाने के चलन को बंद किया जा सके.