गुजरात: निजी स्कूलों के फीस सरकार द्वारा तय लिमिट में ही रहेंगे

गुजरात में रूपाणी सरकार को शपथग्रहण के कुछ दिनों के भीतर ही बड़ी सफलता मिली है. गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस पूर्व आदेश को वैध ठहरा दिया है, जिसके द्वारा सरकार ने निजी स्कूलों की फीस को रेगुलेट किया था. यानी अब निजी स्कूल सरकार द्वारा तय सीमा से ज्यादा फीस नहीं रख सकते.

इस आदेश से प्राइवेट स्कूलों के मैनेजमेंट को तगड़ा झटा लगा है, लेकिन इससे अभि‍भावक काफी खुश हैं. कोर्ट ने सरकार के फीस कन्ट्रोल कानुन को सही बताया और कहा कि सभी प्राइवेट स्कूल को इस कानून को मानना पड़ेगा.

छोटे बच्चों के अभिभावकों के लिए इन स्कूलों की बढ़ती फीस और महंगी शिक्षा सबसे बड़ी समस्या थी. यह देश में प्राइवेट स्कूलों पर लगाम लगाने के लिए लाया गया पहला स्कूल फीस अधिनियम था. गुजरात सरकार को मिली इस सफलता के बाद अब दूसरे राज्यों में ऐसे प्रयास किए जा सकते हैं. दिल्ली की केजरीवाल और यूपी की योगी सरकार ने तो इस दिशा में प्रयास भी शुरू किए हैं.

कोर्ट ने प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की ओर से दायर की गई कानुन पर रोक लगाने के लिए याचिका को भी खारिज कर दिया है.

अभिभावक मंडल, अहमदाबाद के अध्यक्ष नरेश रावल ने कहा, ‘गुजरात हाईकोर्ट का यह फेसला सबसे बड़ी राहत है. प्राइवेट स्कूलों द्वारा अभिभावक हजारों, लाखों रुपये का फीस लेने से अभिभावक काफी परेशान थे. काफी विरोध होने के बाद गुजरात सरकार ने इस कदम उठाते हुए विधानसभा में नया कानुन बनाया जिसके अनुसार सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए फीस की सीमा तय की गई थी. इसके मुताबिक प्राइमरी स्कूल के लिए अधि‍कतम फीस 15,000 रुपये, सेकंडरी स्कूल के लिए 25,000 रुपये और हायर सेकंडरी स्कूल के लिए 27,000 रुपये हो सकती है. इसी कानुन के खिलाफ गुजरात के प्राइवेट स्कूलों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया.

यही नहीं, कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को ये भी आदेश दिया है कि जिन स्कूल ने 2017-18 के शिक्षा सत्र में ज्यादा फीस ली उनकेा अभि‍भावकों को फीस लौटानी होगी. जो स्कूल इस कानून का पालन नहीं करेंगे, उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है.

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