आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने का प्रस्ताव नहीं

नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार (27 दिसंबर) को जोर देकर कहा कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त करने अथवा जनसंख्या के आधार पर आनुपातिक आरक्षण नीति की समीक्षा करने का कोई प्रस्ताव नहीं है. लोकसभा में फग्गन सिंह कुलस्ते ओर सदाशिव लोखंडे के एक सवाल के जवाब में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने बताया कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त करने का सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं है.

उन्होंने इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि आरक्षण की कुल सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है. अदालत के फैसले का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 16 खंड (4) में पर्याप्त आरक्षण का उल्लेख है न कि आनुपातिक आरक्षण का. कुलस्ते और लोखंडे ने पूछा था कि क्या सरकार का विचार आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने या वर्ष 2015 को आधार वर्ष मानते हुए समानुपातिक आरक्षण पर सहमति प्रदान करने का है.

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि संविधान के अनुच्छेद 16 (4) में पिछड़े वर्ग के ऐसे लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है जिनको राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. सिंह ने कहा कि मौजूदा अनुदेशों के मुताबिक, खुली प्रतियोगिता द्वारा अखिल भारतीय आधार पर सीधी भर्ती के मामले में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए क्रमश: 15 फीसदी, 7.5 फीसदी और 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि खुली प्रतियोगिता के अलावा अखिल भारतीय स्तर पर सीधी भर्ती के मामले में अनुसूचित जातियों के लिए 16.66 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 25.84 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित है.

उन्होंने बताया कि समूह ‘ग’ के पदों पर सीधी भर्ती के मामले में सामान्यत: किसी स्थान या क्षेत्र के उम्मीदवारों को संबंधित राज्यों…संघ शासित प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जाता है.

    ssss

    Leave a Comment

    Related posts