सत्तारूढ़ दल भाजपा का कहना है कि इस बिल के जरिए मुस्लिम महिलाओं का सशक्तिकरण होगा। सरकार ने मुताबिक, तीन तलाक का मुद्दा लिंग न्याय, लिंग समानता और महिला की प्रतिष्ठा, मानवीय धारणा से उठाया हुआ मुद्दा है। वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम लॉ बोर्ड सहित कई राजनीतिक दलों ने इस बिल पर अपना विरोध भी दर्ज करवाया है।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि वह अन्य दलों के साथ मिलकर एक बार फिर से इस बिल के मसौदे को देखना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि वे तीन तलाक को अपराध साबित करने वाले इस बिल पर पूरी तरह सहमत नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ”हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन यह देखना होगा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ही इस बिल को पेश करे। यदि ऐसा नहीं होता है तो हम इस बिल का विरोध करेंगे।”
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के लोक सभा सांसद मोहम्मद सलीम ने कहा है कि जब सुप्रीम कोर्ट पहले ही तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा चुकी है तो इस पर अलग से कानून लाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ”जहां तक तीन तलाक पर रोक की बात है तो हम इस प्रथा का बहुत पहले से विरोध करते आए हैं, लेकिन हमारा मानना है कि तलाक को आपराधिक श्रेणी में नहीं डालना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि बिल को संसद की किसी सर्वदलीय समिति में भेजा जाना चाहिए जहां इसके सभी पहलुओं पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने इस बिल को भाजपा की मनमानी भी बताया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने भी तीन तलाक पर प्रस्तावित बिल का विरोध किया है। ममता बनर्जी का कहना है कि उन्हें और उनकी पार्टी से इस बिल का मसौदा तैयार करने से पहले कोई सलाह मशविरा नहीं किया गया।
ममता बनर्जी ने बिल पर अपनी सहमति जताने से पहले उसके मसौदे को देखने की बात कही है। लोक सभा में तृणमूल कांग्रेस चौथी सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं पश्चिम बंगाल में एक तिहाई जनसंख्या मुस्लिम है। तीन तलाक बिल का असर इस राज्य पर प्रमुख रूप से पड़ने के आसार हैं।
बिल के मौजूदा स्वरूप को लेकर कुछ मुस्लिम महिला संगठनों को एतराज है। मुंबई की मुस्लिम महिला संगठन ‘बेबाक कलेक्टिव’ के मुताबिक आने वाला बिल, महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने की जगह और कमजोर बनाने वाला है।
मुस्लिम महिला संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन की इस बिल पर अलग राय है और उन्होंने इसका स्वागत किया है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन अध्यक्ष जाकिया सोमन नए बिल का स्वागत करती हैं। पर साथ में वो कुछ और भी चाहती हैं।
उनके मुताबिक, “हमारी मांग है कि कुरान आधारित मुस्लिम फैमिली कानून होना चाहिए। हम सरकार के नए कानून का स्वागत करते हैं। लेकिन तीन तलाक के लिए ये जरूरी है कि पति और पत्नी दोनों को इसका हक हो, 90 दिन का वक्त दिया जाए। साथ ही हलाला और बहुविवाह पर भी कानून बने।”
उनके मुताबिक “अगर एक से ज्यादा विवाह करने की प्रथा को गैर-कानूनी नहीं किया जाता तो मर्द तलाक दिए बगैर वही रास्ता अपनाने लगेंगे, या फिर तीन महीने की मियाद में तीन तलाक देने का रास्ता अख्तियार करने लगेंगे।”