नई दिल्ली: आयुर्वेद सहित भारतीय औषधि प्रणालियों की प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस लेना चाह रहे मेडिकल स्नातकों को जल्द ही एक निकास (एग्जिट) परीक्षा पास करनी पड़ सकती है. स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय मेडिकल आयोग विधेयक की तर्ज पर प्रस्तावित एक विधेयक में यह प्रावधान है.
यह उस विधेयक के मसौदे का हिस्सा है जिसके जरिए एक नई नियामक संस्था ‘राष्ट्रीय भारतीय औषधि एवं होम्योपैथी प्रणाली आयोग’ बनाने की कोशिश है. यह आयोग होम्योपथी एवं भारतीय औषधि प्रणालियों में उच्च शिक्षा को शासित करने वाले दो वैधानिक निकायों की जगह लेगा.
आयुष मंत्रालय ने नीति आयोग से विमर्श कर प्रस्तावित विधयेक में ‘इंटीग्रेटिव मेडिसिन’ को शामिल करने की योजना बनाई है जिससे आयुष की प्रैक्टिस करने वालों को आधुनिक औषधि प्रणालियों की प्रैक्टिस करने का मौका मिलेगा और आधुनिक औषधि प्रणालियों की प्रैक्टिस करने वालों को आयुष की प्रैक्टिस का मौका मिल सकेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें एक ‘‘ब्रिज कोर्स’’ करना होगा.