काठमांडो: नेपाल की राष्ट्रपति विद्या भंडारी ने ऊपरी सदन के सदस्यों के चुनाव से जुड़े एक अहम अध्यादेश को शुक्रवार (29 दिसंबर) को मंजूरी दे दी, जिससे हाल के प्रांतीय एवं संसदीय चुनाव के बाद नयी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हो गया है. सत्तारुढ़ नेपाली कांग्रेस और मुख्य विपक्षी सीपीएन-यूएमएल के बीच इस बात पर विवाद है कि ऊपरी सदन के 59 सदस्यों के चुनाव के लिए कौन-सी मतदान-प्रणाली अपनायी जाए. ऊपरी सदन के गठन के बगैर द्विसदनीय संसद का गठन पूरा नहीं हो सकता जो पूर्ण संसदीय सत्र बुलाये जाने के लिए अहम है. पूर्ण संसदीय सत्र नयी सरकार के गठन के लिए अनिवार्य है.
नेपाली कांग्रेस ऊपरी सदन के लिए एकल अंतरणीय मतदान प्रणाली की वकालत कर रही है जबकि सीपीएन-यूएमएल बहुमत मतदान प्रणाली पर अड़ी हुई है. राष्ट्रपति इन दोनों बड़ी राजनीतिक शक्तियों के बीच विवाद के कारण कुछ वक्त के लिए अध्यादेश का यह उपाय अपना रही हैं. अध्यादेश में मिश्रित मतदान प्रणाली है. अध्यादेश के तहत कुल 59 सदस्यों में से 42 का निर्वाचन एकल अंतरणीय मतदान प्रणाली के माध्यम से होगा जबकि 14 बहुमत मतदान प्रणाली से चुने जाएंगे. बाकी तीन सदस्यों को राष्ट्रपति नियुक्त करेंगी.
एकल अंतरणीय प्रणाली के तहत उम्मीदवारों की जीत तय करने के लिए पात्र मतदाताओं के मतों को अधिभार दिया जाएगा. इस बीच सीपीएन-यूएमएल के वरिष्ठ नेता लाल बाबू पंडित ने कहा है कि पार्टी अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री के पी ओली वाम गठबंधन के तहत बनने वाली नयी सरकार की अगुवाई कर सकते हैं.