नई दिल्ली: बैंकों के एनपीए को पूर्ववर्ती संप्रग सरकार से विरासत में मिला विषय करार देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार (29 दिसंबर) को कहा कि कांग्रेस नीत सरकार के दौरान गैर निष्पादित आस्ति (एनपीए) का पुनर्गठन किया जाता रहा, बैंकों के एनपीए को छिपा कर रखा गया और इस तरह से देश की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास किया गया. दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक 2017 पर चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद जब बैंकों की परिसम्पत्ति ऑडिट हुआ तब यह बात सामने आई कि जिसे निष्पादन करने वाली आस्ति बताया जा रहा था, वह वास्तव में गैर निष्पादित आस्ति थी.
एनपीए के बारे में कांग्रेस सदस्यों के आरोपों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए जेटली ने कहा कि आप जो आरोप लगा रहे हैं, वह वास्तव में आपके समय में छिपाये गए एनपीए थे, अब बाहर आ गए हैं. ये आपके ही पाप हैं जिन्हें हम धोने का प्रयास कर रहे हैं. हमारे लिये एनपीए विरासत में मिला विषय है. उन्होंने कहा कि आपके समय में गैर निष्पादित आस्ति (एनपीए) का पुनर्गठन किया जाता रहा, बैंकों के एनपीए को छिपा कर रखा गया और इस तरह से देश की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास किया.
यह विधेयक इस बारे में नवंबर में लागू किये गये अध्यादेश का स्थान लेगा जिसमें दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन करने की मांग की गई है. जेटली ने कहा कि अध्यादेश लाना इसलिये जरूरी था कि इस संबंध में काफी मामले लंबित थे और इस बारे में समयसीमा तय कर दी गई थी. अगर हम और इंतजार करते तो और मामले बढ़ते जाते.
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार के समय बैंकों की वास्तविक स्थिति को छिपा कर रखा गया. हमने बैंकों की परिसम्पत्तियों की समीक्षा की और तब पता चला कि जितना एनपीए बताया गया है, उससे कहीं अधिक एनपीए है. ऐसे में हमने यह पहल की कि किस प्रकार से इनसे पैसा वसूला जाए. इस विधेयक के माध्यम से कमियों को दूर करने पर बल दिया गया है ताकि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें. प्रस्तावित परिवर्तनों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी.
जेटली ने कहा कि इसमें अपात्रता संबंधी मानदंड जोड़ना जरूरी था अन्यथा जिन्होंने चूक की वे कुछ धन देकर फिर से प्रबंधन और व्यवस्था में वापस लौट आते. क्या हम ऐसी स्थिति की अनुमति दे सकते थे ? मंत्री के जवाब के बाद आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने अपना सांविधिक संकल्प वापस ले लिया. सदन ने इसके बाद विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.
प्रेमचंद्रन ने कहा कि विधेयक में इन्सॉल्वेंसी पेशेवरों की योग्यता और अनुभव भलीभांति निर्धारित नहीं हैं. उन्होंने इसे शामिल करने के लिए विधेयक में संशोधन लाने की मांग की. कांग्रेस की ओर से चर्चा में भाग लेते हुए केवी थॉमस ने कहा कि हम विधेयक का स्वागत करते हैं लेकिन सरकार को और अधिक वित्तीय अनुशासन लाना होगा. उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों, छोटे व्यापारियों, छात्रों और गरीबों की मदद करनी होगी.
थॉमस ने राजग सरकार पर आर्थिक मोर्चे पर विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को झूठे वायदे से बचना होगा और सकारात्मक कदम उठाने होंगे. भाजपा के संजय जायसवाल ने कहा कि सरकार सुधारों से नहीं हिचकती तभी जीएसटी में इतने सुधार किये गये हैं. संशोधन एक निरंतर प्रक्रिया है. उन्होंने विपक्षी सदस्यों के तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि जिन लोगों ने कंपनी को डुबो दिया, उन्हें फिर से कैसे कंपनी का संचालन सौंपा जा सकता है और इस स्थिति में नये पेशेवरों को तो लाना होगा.
जायसवाल ने कहा कि इस विधेयक से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि लोग अत्यधिक कर्ज लेने से बचेंगे जिसे वे चुका नहीं सकते और धोखाधड़ी नहीं होगी. तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया के लिए आवेदन करने से रोकने वाली श्रेणी का दायरा बहुत व्यापक किया गया है और इससे जटिलताएं बढ़ सकती हैं. उन्होंने कहा कि उस वक्त बैंकिंग व्यवस्था में काफी सुधार की जरूरत है जब देश की अर्थव्यवस्था खराब हालत में है. इस विधेयक में कमिया हैं और सरकार को विधेयक पर फिर से विचार करना चाहिए.
बीजू जनता दल के बी. महताब ने कहा कि इस साल 23 नवंबर को अध्यादेश जारी किया गया और अब यह संशोधन विधेयक लाया जा रहा है. इसमें कई ऐसी बाते हैं जो स्वागत योग्य हैं. महताब ने पहले के कानून की कमियों का उल्लेख करते कहा कि इसके अमल के आने के बाद भी गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) में कोई कमी नहीं आई. सितंबर के आंकड़े के मुताबिक कुल एनपीए 9.8 फीसदी तक पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया के तहत यह कोशिश होनी चाहिए कि बैंकों के एनपीए कम हों और देश के आर्थिक विकास के लिए यह जरूरी है.
तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के जयदेव गल्ला ने कहा कि यह प्रशंसनीय है कि सरकार पहले के कानून में कमियों को दूर करने के लिए यह संशोधन विधेयक लाई है. उन्होंने कहा कि वास्तविक निवेशकों एवं उद्यमियों को नुकसान नहीं हो, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विनोद कुमार ने कहा कि ऐसी आशंका है कि ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया के लिए योग्यता के प्रावधान को इतना सख्त करने से आवेदकों की संख्या में बहुत कमी आ सकती है. माकपा के पी करुणाकरन ने कहा कि पहले के विधेयक को भी विस्तृत चर्चा के बाद पारित किया गया था, लेकिन बाद में उसके कमियों का पता चला.
उन्होंने राज्यों खासकर केरल के राजस्व में कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को हुए राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र अनुदान प्रदान करे. वाईएसआर कांग्रेस के वेराप्रसाद राव वेलगापल्ली ने कहा कि कुल एनपीए का 80 फीसदी देश के 50 बड़े कारपोरेट समूहों के नाम है. उन्होंने कहा कि चिंता की बात है कि भारत में एनपीए करीब 10 फीसदी हो चुका है, जबकि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में एनपीए दो फीसदी से भी कम है. चीन में भी एनपीए काफी कम है.
भाजपा के सुभाष बहेरिया ने कहा कि इस संशोधन में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं जिनसे वास्तविक निवेशकों की हितों की रक्षा होगी. इंडियन नेशनल लोकदल के दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सरकार को किसानों और कृषि से जुड़े एनपीए का निदान करने के लिए कानून या कोई व्यवस्था बनानी चाहिए. भाजपा के राजेश पांडेय ने कहा कि अगर पूर्व की सरकार ने उचित कदम उठाया होता तो आज एनपीए की इतनी बड़ी समस्या खड़ी नहीं होती.