नई दिल्ली (एएनअाई)। तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली इशरत जहां भाजपा में शामिल हो गई। इशरत जहां शनिवार को हावड़ा स्थित भाजपा कार्यालय में पार्टी में शामिल हुईं। भाजपा में शामिल होने के बाद इशरत जहां ने कहा कि मैं उनका समर्थन करूंगी, जो मेरी मदद करेगा।
इसके साथ ही इशरत ने कहा कि मोदी जी पड़ितों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण कानून लेकर आए हैं। मैं बहुत खुश हूं। मैं भारतीय जनता पार्टी की महिला शाखा के साथ काम करूंगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में मैं महिलाअों के अधिकार की लड़ाई लडूंगी। मैं तीन तलाक पीड़िता हूं, निचली अदालत से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक लड़ाई लड़ी, अततः न्याय मिला। प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी जी तीन तलाक बिल लाए, इसके लिए मैं बहुत खुश हूं।
ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए इशरत जहां ने कहा कि तीन तलाक के खिलाफ उनकी लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की अोर से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा कि ममता जी एक महिला हैं, उन्हें हमारी मदद करनी चाहिए थी। लेकिन उन्होंने एेसा नहीं किया।
सूत्रों ने बताया कि इशरत को भाजपा की हावड़ा इकाई ने शनिवार को सम्मानित किया और फिर पार्टी में उन्हें शामिल किया। इशरत तीन तलाक मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक हैं।
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के महासचिव सायंतन बसु ने बताया कि उन्हें सम्मानित करने के लिए राज्य स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन होना बाकी है। बता दें कि तीन तलाक मामले में इशरत जहां पांच याचिकाकर्ताओं में से एक थीं।
जानिए- इशरत जहां के बारे में
पश्चिम बंगाल के हावड़ा की इशरत जहां ने अगस्त 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 30 साल की इशरत ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके पति ने दुबई से ही फोन पर तलाक दे दिया। अपनी याचिका में इशरत ने कोर्ट में कहा कि उसका निकाह 2001 में हुआ था और उसके चार बच्चे भी हैं जो उसके पति ने जबरन अपने पास रख लिए हैं।
याचिका में इशरत ने बच्चों को वापस दिलाने और उसे पुलिस सुरक्षा दिलाने की मांग की थी। इशरत ने कहा था कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। याचिका में कहा गया था कि ट्रिपल तलाक गैरकानूनी है और मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन है।
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2017 को पांच जजों की संवैधानिक पीठ में से तीन जजों ने तलाक-ए बिद्दत यानी तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 लोकसभा में पेश किया और इसे बिना संशोधन के पास भी करवा लिया गया।