बेंगलुरु : देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी इन्फोसिस के नए सीईओ सलिल पारेख ने मंगलवार को कार्यभार संभाल लिया। सलिल के सामने सबसे बड़ी चुनौती कंपनी के फाउंडर्स का भरोसा जीतने की होगी। इन्फोसिस 2017 के बुरे अनुभवों को भुला 2018 में फ्रेश शुरुआत करना चाहती है। पिछले साल कंपनी के फाउंडर्स और पूर्व सीईओ विशाल सिक्का के बीच विवाद सार्वजनिक हो गया था जिसके बाद सिक्का को इन्फोसिस छोड़नी पड़ी थी।
इन्फोसिस का कार्यभार संभालने वाले पारेख सीईओ बनने की रेस में 2014 में भी थे। कप जेमिनाइ के पूर्व एग्जिक्युटिव पारेख को भारतीय आईटी आउटसोर्सिंग इंडस्ट्री में लगभग तीन दशकों का अनुभव है साथ ही उन्होंने उत्तर अमेरिका और यूरोप के क्लाइंट्स को भी संभाला हुआ है जिससे उनका पक्ष मजबूत होता है। पारेख के सामने सबसे पहली चुनौती कंपनी के फाउंडर्स को जीतने की होगी विशेष तौर पर उन्हें कंपनी के को-फाउंडर नारायण मूर्तिका विश्वास जीतना होगा। मूर्ति पिछले कई मौकों पर आईटी लीडर्स की आलोचना कर चुके हैं।
जानकारों का कहना है पारेख के सामने कंपनी के लिए आगे की रणनीति तैयार करना अहम होगा, सिक्का कंपनी को परंपरागत रणनीति से अलग दिशा में ले गए थे। मूर्ति ने पारेख को चुने जाने का स्वागत किया था। इन्फोसिस में पारेख पर बड़ी जिम्मेदारियां हैं जिनमें बिजनस स्ट्रैटिजी पर फोकस करते हुए वित्तीय हालत सुधारना सबसे अहम है। साथ ही प्रोमोटर-बोर्ड और मैनेजमेंट के संबंधों को बेहतर बनाना, नॉन-एक्जिक्युटिव चेयरमैन नंदन नीलकेणि से बेहतर तालमेल बनाना, कर्मचारियों और निवेशकों का भरोसा बढ़ाना, इन्फोसिस की पुरानी प्रतिष्ठा वापस लाना भी उनकी चुनौतियां में से एक है।