पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पाकिस्तानी दोस्त अरूसा आलम की तीमारदारी मे मशगूल है, तो उनके अपने गृह जिले पटियाला में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं. पटियाला के टोहड़ा गांव के सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 10वीं कक्षा की दलित छात्रा ने अनुसूचित जाति आयोग को एक पत्र लिखकर अपने साथ हुए अत्याचार की आपबीती बताई है.
दलित छात्रा वीरपाल कौर ने अपनी शिकायत में कहा है कि मार्च 2017 में 10वीं कक्षा की परीक्षा में उसे स्कूल के क्लर्क ने अपने भतीजे और दो सहपाठियों को नकल करवाने को कहा था. उसने नकल नहीं करवाई तो तीनों लड़के फेल हो गए. पिछले साल जून में रिजल्ट आने के बाद तीनों लड़कों ने उसको स्कूल में ही सबके सामने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था.
इसके बाद एक फर्जी फेसबुक पोस्ट बनाकर उसे बदनाम करने की कोशिश की गई थी. वीरपाल कौर के पिता को जब इस घटना का पता चला तो उन्होंने भादसों थाने में इसकी शिकायत दर्ज करवाई. इसके बाद तीनों आरोपियों ने छात्रा से न केवल माफी मांगी बल्कि पुलिस को यह भी बताया था कि फेसबुक पोस्ट स्कूल के कलर्क के कहने पर अपलोड की गई थी.
पुलिस थाने में माफीनामे के बाद भी वीरपाल कौर के साथ अत्याचार जारी रहा. उसे जातीय टिप्पणियां करके परेशान किया गया. स्कूल स्टाफ ने उस पर कक्षा की अगली पंक्ति में बैठने पर पाबंदी लगा दी. इसके बावजूद वीरपाल कौर स्कूल की मेधावी छात्रा बनी रही. 10 वीं में उसके 80 फिसदी से ज्यादा अंक आए थे. लेकिन उस पर सामाजिक अत्याचार जारी था.
यह मामला चूंकि ऊंची जाति के जाटों से जुड़ा हुआ था इसलिए पड़ोसियों ने वीरपाल कौर के परिवार को पानी देना भी बंद कर दिया. मामला हद से ज्यादा बढ़ गया तो हार कर वीरपाल कौर ने नवंबर 2017 में सारी घटना की शिकायत अनुसूचित जाति आयोग को दी. आयोग ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए पटियाला के डीएसपी जसकीरत सिंह को मामले की जांच सौंप दी.
उधर मंगलवार को स्कूल के प्रिंसिपल सहित दूसरे कर्मचारियों ने जांच अधिकारी के सामने पेश होकर अपने बयान दर्ज करवाएं और आरोपों को नकार दिया. पंजाब के दलित नेता डॉक्टर जितेंद्र सिंह मट्टू ने चेतावनी दी है कि यदि दलित छात्रा को न्याय नहीं मिला तो पंजाब के दलित सड़कों पर उतर कर विरोध जताएंगे. इस अन्याय का जमकर विरोध करेंगे.
बताते चलें कि वीरपाल कौर एक गरीब दलित परिवार से संबंध रखती है. उसके माता-पिता लोगों के घरों में बर्तन मांजने और दूसरे काम करके गुजारा करते हैं. एक ऐसे राज्य में जिसके दो शिक्षा मंत्री (उच्च और माध्यमिक) खुद दलित हों, एक दलित छात्रा के साथ हुए अत्याचार की कहानी ने सब को शर्मसार कर दिया है. मामला तूल पकड़ रहा है.