नई दिल्ली. महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह के दौरान हुई हिंसा के कारण महाराष्ट्र भर में जातिगत तनाव फैल गया है. कांग्रेस पार्टी ने इसके लिए प्रधानमंत्री से जवाब मांगा है. कांग्रेस ने लोकसभा में आज इस घटना के लिए हिंदूवादी संगठनों और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया. कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर विपक्षी दल पर हिंसा की आग को बुझाने के बजाय उसे भड़काने का काम किया है.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विषय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वह दलितों से जुड़ी इस तरह की घटनाओं पर हमेशा चुप रहते हैं. कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री से इस मामले में सदन में बयान देने की मांग की. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश द्वारा घटना की जांच कराने की भी मांग की.
दूसरी तरफ संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी हिंसा की आग को बुझाने के बजाय उसे और भड़काने का काम कर रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि खड़गे जी महाराष्ट्र की समस्या का निदान नहीं करना चाहते, बल्कि उसे भड़काना चाहते हैं. वह राजनीति करना चाहते हैं.
अनंत कुमार ने कहा कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश की हार के बाद कांग्रेस हताशा में है. महाराष्ट्र में शांति की कामना के बजाय वे इसे भड़काना चाह रहे हैं और जिस तरह अंग्रेज शासक ‘बांटो और राज करो’ की नीति अपनाते थे, उसी तरह कांग्रेस ‘फूट डालो और राज करो’ की राजनीति कर रहे हैं.
अनंत कुमार ने कहा कि हमारे नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ काम कर रहे हैं. कुमार ने कहा कि आज सदन को शांति का पैगाम देने का मंच बनना होगा. उन्होंने कहा, ‘खड़गे, राहुल गांधी और कांग्रेस आग को बुझाने के बजाय उसे भड़काने का काम कर रहे हैं.’ शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए खड़गे ने कहा कि देश में दलितों पर कुछ शक्तियां अत्याचार कर रही हैं और उन्हें हमेशा निचले पायदान पर रखना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि दलित जब स्वाभिमान के साथ जीना चाहते हैं और कोई कार्यक्रम करते हैं तो कुछ लोग उसमें दखल देकर और उकसाकर उसका फायदा उठाना चाहते हैं.
खड़गे ने कहा कि भीमा-कोरेगांव की घटना में भी यही हुआ जहां पिछले कई दशकों से श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाता रहा है और कभी कोई अप्रिय घटना नहीं घटी लेकिन एक जनवरी को वहां जो हुआ, उसके बारे में पता लगाया जाना चाहिए कि किसने लोगों को उकसाया? कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य सरकार ने जो भी कार्रवाई की हो लेकिन हम मांग करते हैं कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के नेतृत्व में मामले की जांच करानी चाहिए. खड़गे ने कहा कि समाज में विभाजन की कोशिश की जा रही है और कट्टर हिंदूवादी लोगों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने इस काम को अंजाम दिया है.
संघ पर उनके इस आरोप का भाजपा के सदस्यों ने विरोध किया. बीच में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने खड़गे को अपनी बात समाप्त करने का आग्रह किया और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय को बोलने की अनुमति दी. बात पूरी नहीं होने और बीच में माइक बंद होने से खड़गे नाराज हो गए कि उन्होंने अपने हाथ में मौजूद कागजों को फाड़ दिया. कांग्रेस के अन्य सदस्य भी खड़गे को बात पूरी करने देने की मांग करने लगे.
पुणे से शिवसेना सांसद शिवाजीराव अधलराव पाटिल ने कहा कि इस घटना से दलितों का कोई संबंध नहीं है और कुछ लोगों ने मराठाओं और दलितों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश इसके माध्यम से की है। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में सहयोगी शिवसेना के सांसद ने राज्य पुलिस पर संघर्ष की घटनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय से राज्य सरकार को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहने की मांग की.
इसी राज्य से सांसद भाजपा के रावसाहब दानवे पाटिल ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि भीमा-कोरेगांव के युद्ध को 200 वर्ष पूरे होने के अवसर पर इस साल अपेक्षाकृत ज्यादा भीड़ आ गई थी. समारोह में कुछ राजनीतिक भाषण हुए जिनकी वजह से दंगे भड़क गए. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा नीत देवेंद्र फडणवीस सरकार के पिछले तीन साल के शासनकाल में एक भी दंगा नहीं भड़का और पुणे की घटना राज्य में विकास का एजेंडा रोकने की विपक्ष की साजिश का नतीजा है.
गौरतलब है कि भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को लेकर आक्रोश भड़कने के बाद से पूरे महाराष्ट्र में हिंसा का दौर जारी है.