अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फलस्तीन को वार्षिक 300 करोड़ डॉलर की अमेरिकी सहायता रोकने की धमकी के बाद फलस्तीन नेताओं ने बुधवार को कहा कि वे ट्रंप की धमकियों से ब्लैकमेल नहीं होंगे।
पिछले महीने यरुशलम को इस्राइल की राजधानी के रूप में अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा मान्यता देने के बाद से व्हाइटहाउस और फलस्तीन के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। फलस्तीन राष्ट्रपति महमूद अब्बास के नेतृत्व में इस विवादित शहर ने 6 दिसंबर को घोषणा की कि संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय तक मध्य-पूर्व शांति प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं निभा सकता है।
ट्रंप की ताजा धमकी फलस्तीन को वार्ता के लिए मजबूर करने की है जबकि इस्राइली मंत्री ट्रंप के इस कदम से खुश हैं।
अमेरिका वेस्ट बैंक और गाजा में संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम के लिए 304 मिलियन अतिरिक्त राशि की सहायता फलस्तीन ऑथरिटी को मुहैया कराता है। वहीं, इस्राइल भी वाशिंगटन से हर साल सैन्य सहायता के रूप में 3 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि प्राप्त करता है।
अब्बास के प्रवक्ता नबिल अबु रुदेना ने कहा कि हम वार्ता के खिलाफ नहीं हैं लेकिन वार्ता अंतरराष्ट्रीय कानून और सिद्धांतों के आधार पर होने चाहिए, जो फलस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य और पूर्वी यरुशलम को उसकी राजधानी के रूप में मान्यता देता है।
यरुशलम फलस्तीन की आंतरिक राजधानी है और यह सोने व अरबों डॉलर की बिक्री के लिए नहीं है। जबकि वरिष्ठ फलस्तीनी अधिकारी हनान अशरावी ने कहा कि हम ब्लैकमेल नहीं होंगे। राष्ट्रपति ट्रंप शांति, स्वतंत्रता और न्याय के हमारे रास्ते का दमन कर रहे हैं। बता दें कि इससे पहले नए साल के पहले दिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर लगाम लगाने का ऐलान किया था।