भारत ने ओपेक से तेल के लिए ‘जिम्मेदारीपूर्ण कीमत’ व्यवस्था अपनाने को कहा

नई दिल्ली: भारत ने तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक से तेल के लिये ‘जिम्मेदारीपूर्ण कीमत’ व्यवस्था अपनाने और दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता देश को अपना तरजीही बिक्री केंद्र के रूप में विचार करने को कहा. यहां जारी एक सरकारी बयान के अनुसार पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ओपेक के महासचिव सानुसी मोहम्मद बारकिन्डो के साथ रविवार (8 अक्टूबर) को मुलाकात की. दोनों ने तेल एवं गैस उद्योग के मौजूदा परिदृश्य और हाल की गतिविधियों पर चर्चा की. बैठक के दौरान प्रधान ने जोर देकर कहा कि आज बाजार में अधिक आपूर्ति की स्थिति है, ऐसे में उत्पादकों के लिये यह महत्वपूर्ण है कि वे उपभोक्ता देशों के नजरिये और इन मांग केंद्रों पर हो रहे बदलावों को समझे.

बारकिन्डो केयरवीक इंडिया एनर्जी फोरम में भाग लेने के लिये यहां आये हुए हैं. इससे पहले, दूसरे भारत-ओपेक संस्थागत बातचीत के लिये दोनों की मई 2017 में वियना में बैठक हुई थी. बयान के अनुसार प्रधान ने इस बात को दोहराया, ‘‘ओपेक को ‘जिम्मेदारीपूर्ण कीमत’ की दिशा में काम करना चाहिए. यह भारत के सामाजिक-आर्थिक तथा विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण है.’’ उल्लेखनीय है कि भारत अपनी कुल जरूरत का 86 प्रतिशत कच्चा तेल, 75 प्रतिशत प्राकृतिक गैस औ 95 प्रतिशत एलपीजी ओपेक सदस्य देशों से आयात करता है.

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की भी जिम्मेदारी संभाल रहे प्रधान ने उत्पादकों और उपभोक्ता देशों के बीच उद्देश्यपूर्ण और बेहतर बातचीत की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने सुझाव दिया कि ओपेक को अपनी मंत्री स्तरीय बैठक में भारत के अनुरोध पर विचार करना चाहिए. प्रधान ने कहा कि भारत विभिन्न स्रोतों से अपने कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है और आपूर्ति के नये स्रोत का उपयोग कर रहा है. इस संदर्भ में उन्होंने अमेरिका से आये 16 लाख बैरल कच्चे तेल का जिक्र किया.

बैठक में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की रिफाइनरियों के सात सीईओ शामिल हुए. मंत्री ने ओपेक के महासचिव को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मंच की 16वें मंत्री स्तरीय बैठक में भाग लेने का निमंत्रण दिया. यह बैठक भारत में अप्रैल 2018 में होगी. बयान के अनुसार महासचिव ने निमंत्रण को स्वीकार कर लिया.

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