बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का आंकड़ा 112 तक पहुंच चुका है. पिछले 24 घंटे के अंदर मेडिकल कॉलेज में 75 नए मरीज भर्ती हुए हैं. 400 बच्चों का इलाज चल रहा है, जिसमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है, लेकिन अभी तक न तो सरकार, न डॉक्टर ये तय कर पाए हैं कि ये बीमारी कौन सी है.
बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत का आंकड़ा 112 तक पहुंच चुका है. पिछले 24 घंटे के अंदर मेडिकल कॉलेज में 75 नए मरीज भर्ती हुए हैं. 418 बच्चों का इलाज चल रहा है, जिसमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है, लेकिन अभी तक न तो सरकार, न डॉक्टर ये तय कर पाए हैं कि ये बीमारी कौन सी है.मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में इसे चमकी कहा जा रहा है, लेकिन सरकारों शायद फुरसत ही नहीं है कि बीमारी की असल वजह और इलाज ढूंढा जाए.
मौत की शुरुआत के करीब 20 दिन बाद मंगलवार सुबह-सुबह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर के SKMCH अस्पताल पहुंचे. नीतीश के पहुंचने के बाद बच्चों के मां बाप को उम्मीद थी कि उनके नौनिहालों के साथ हवा में तीर की तरह हो रहे इलाज का कुछ इलाज होगा, दवाएं मिलेंगी, अस्पताल की सेहत सुधरेगी, लेकिन सीएम साहब की पर्देदारी देखकर लोगों के सब्र का बांध टूट गया. लोग नारे लगाते रहे और नीतीश अस्पताल प्रशासन की पीठ थपथपाकर आराम से निकल लिए.
चमकी बुखार से हो रही मौतों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. दो वकीलों ने जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि बीमारी से प्रभावित इलाकों में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू बनाने का आदेश दिया जाए, प्रभावित इलाकों में मेडिकल एक्सपर्ट टीम भेजने के निर्देश दिए जाएं और 100 मोबाइल ICU मुजफ्फरपुर भेजे जाएं. इसके साथ ही मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए.
इस बीच चमकी बुखार के कारण लगातार बढ़ रही मौतों की तादाद को देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से रिपोर्ट दाखिल करने को लेकर नोटिस जारी किया है. ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि मुजफ्फरपुर के अलावा राज्य के कुछ अन्य जिले भी इससे प्रभावित हुए हैं.
आयोग ने इसे लेकर रिपोर्ट मांगी है. साथ ही यह भी पूछा कि अस्पताल में भर्ती बच्चों को किस तरह का इलाज दियाजा रहा है और पीड़ित परिवारों को राज्य सरकार किस तरह की सहायता उपलब्ध कराई गई है. आयोग ने स्वास्थ्य मंत्रालय और बिहार सरकार से चार हफ्तों में जवाब देने को कहा है.