प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने ओम बिड़ला के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका राजनाथ सिंह ने समर्थन किया. इसके बाद अमित शाह, अरविंद सावंत समेत अन्य कई सांसदों ने ओम बिड़ला का प्रस्ताव रखा और अन्य सांसदों ने उसका समर्थन किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर चौंकाने वाला फैसला लिया और एक ऐसे सांसद को लोकसभा स्पीकर के लिए चुना जिसका नाम रेस में भी नहीं था. राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिड़ला को आज निर्विरोध रूप से लोकसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया. मंगलवार को ही उन्होंने अपना नामांकन किया था. उनके खिलाफ किसी ने पर्चा नहीं भरा है, ऐसे में उनका चुना जाना तय है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एनडीए के सभी दल और अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी ओम बिड़ला के नाम का समर्थन किया.
प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने ओम बिड़ला के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका राजनाथ सिंह ने समर्थन किया. इसके बाद अमित शाह, अरविंद सावंत समेत अन्य कई सांसदों ने ओम बिड़ला का प्रस्ताव रखा और अन्य सांसदों ने उसका समर्थन किया. चुनाव की प्रक्रिया के बाद ओम बिड़ला ने स्पीकर पद की कुर्सी संभाली और सदन की कार्यवाही आगे बढ़ी. कांग्रेस पार्टी की तरफ से भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया गया है.
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा स्पीकर के लिए एनडीए में अपने साथी शिवसेना, जेडीयू, अकाली दल के साथ मिलकर ओम बिड़ला का नाम आगे बढ़ाया. एनडीए के साथियों के अलावा ओडिशा की बीजू जनता दल ने भी ओम बिड़ला का समर्थन किया. वहीं कांग्रेस की बैठक में भी तय हुआ कि उनकी ओर से किसी को खड़ा नहीं किया जाएगा, इसी के साथ उनके निर्विरोध चुने जाने का रास्ता साफ हो गया है.
गौरतलब है कि ओम बिड़ला के प्रस्तावकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अलावा एनडीए के अन्य नेता शामिल थे.
कौन हैं ओम बिड़ला?
ओम बिड़ला राजस्थान के कोटा से सांसद हैं और दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीते हैं. इससे पहले वह राजस्थान सरकार में संसदीय सचिव रहे हैं. इस दौरान उन्होंने लीक से हटकर कई पहल की थीं. 2014 में कई संसदीय समितियों में रहे. इसके अलावा उनकी प्रबंधन क्षमता भी अच्छी है. बड़े नेताओं से रिश्ते भी अच्छे हैं. ऊर्जावान भी हैं. हालांकि, वसुंधरा राजे से उनके रिश्ते ज्यादा बेहतर नहीं बताए जाते हैं.
अगर राजनीतिक करियर की बात करें तो ओम बिड़ला 2014 में 16वीं लोकसभा के चुनाव में पहली बार कोटा से सांसद बने. फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में वह दोबारा इसी सीट से सांसद बने. इससे पहले 2003, 2008 और 2013 में कोटा से ही विधायक बने. इस प्रकार वह कुल तीन बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं.