राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े एक मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अग्रिम जमानत मिल गई है. राहुल गांधी के खिलाफ एक आरएसएस कार्यकर्ता ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है. आरोप है कि राहुल गांधी ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को बीजेपी-आरएसएस की विचारधारा से जोड़ा था.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी ने अपने आपको बेकसूर बताया. इसके बाद कोर्ट ने 15 हजार रुपये के निजी मुचलके पर अग्रिम जमानत दे दिया. पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड़ ने राहुल गांधी की जमानत ली. बता दें कि गौरी लंकेश की सितंबर 2017 में बेंगलुरु में उनके घर के गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
इस दौरान, राहुल गांधी की अगुआई में पार्टी नेता कृपाशंकर सिंह, बाबा सिद्दीकी, मिलिंद देवड़ा, संजय निरूपम अदालत के अंदर मौजूद रहे. जब राहुल गांधी कोर्ट में पेशी के लिए मुंबई पहुंचे तो एयरपोर्ट के बाहर मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में नारे लगाए. कांग्रेस समर्थकों ने ‘राहुल तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’ के नारे लगाए.
शिकायतकर्ता ध्रुतिमन जोशी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी पर भी ऐसे मामले दायर किए थे जिन्हें खारिज कर दिया गया था. जोशी ने अपनी याचिका में कहा कि लंकेश की हत्या के मुश्किल से 24 घंटों के बाद ही राहुल गांधी ने हत्या के लिए आरएसएस और उसकी विचारधारा को जिम्मेदार ठहरा दिया था.
महाराष्ट्र में राहुल गांधी के खिलाफ किसी आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा दायर की गई यह दूसरी याचिका है. इससे पहले 2014 में, एक स्थानीय कार्यकर्ता राजेश कुंते ने महात्मा गांधी की हत्या के लिए कथित रूप से आरएसएस पर आरोप लगाने के लिए राहुल के खिलाफ याचिका दायर की थी. वह मामला ठाणे में भिवंडी अदालत में लंबित है.
वहीं, खबर है कि राहुल गांधी आगामी हफ्ते में कई केसों पर सुनवाई के चलते अपनी अमेरिका यात्रा को रद्द कर सकते हैं. उन पर पटना और अहमदाबाद में भी केस दर्ज हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि राहुल कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक से दूरी बना सकते हैं.
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. राहुल गांधी के मुताबिक, उन्हें लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए क्योंकि पार्टी 542 में से केवल 52 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. राहुल ने कहा कि बीजेपी की व्यापक जीत ने यह साबित कर दिया है कि देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का आरएसएस का लक्ष्य अब पूरा हो गया है.