पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री: दिलजीत दोसांझ बोले

पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार एवं गायक दिलजीत दोसांझ ‘उड़ता पंजाब’ और ‘सूरमा’ समेत कई हिंदी फिल्मों में काम कर चुके हैं। हाल ही में उनकी एक पंजाबी फिल्म ‘शडा’ आई है और कई हिंदी फिल्में भी आने वाली हैं। बॉलीवुड और फिल्मों पर उनसे हुई एक बातचीत रीना कपूर खान के साथ आई 2016 की फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ के बाद से दिलजीत दोसांझ बॉलीवुड में लगातार आगे बढ़ते रहे हैं और यह रफ्तार कम होती भी नजर नहीं आ रही। ऐसा भी नहीं है कि इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय फिल्मों से मुंह मोड़ लिया हो।

आज बॉलीवुड में वे क्षेत्रीय फिल्मों की राह पर चलकर ही तो पहुंचे हैं। अभी हाल ही में आई उनकी पंजाबी फिल्म ‘शडा’ बॉक्स ऑफिस पर काफी पसंद भी की गई है। दिलजीत के साथ एक बात और भी है। वैसे तो वे खुलने में थोड़ा वक्त लगाते हैं, लेकिन एक बार अगर उन्होंने आपको ‘पा जी’ बुला लिया, तो समझ जाइए कि अब उनकी हिचकिचाहट खत्म हो गई है।

एक मुलाकात में उन्होंने खुलकर कहीं दिल की बातें-

हाल ही में आपकी पंजाबी फिल्म ‘शडा’ और फिल्म ‘कबीर सिंह’ की बॉक्स ऑफिस पर एक ही दिन टक्कर हुई। क्या इस बारे में सोचा था? फिल्म इंडस्ट्री और संगीत की दुनिया के बीच भी आप एक साथ सक्रिय रहते हैं। इस तालमेल को बैठाने में थकान नहीं होती?

यह हर रोज की बात है। यह हमें करना ही होता है। ऐसा नहीं हो सकता कि एक काम एक दिन किया और दूसरे दिन भूल गए। काम हमें हर दिन करना होता है। और प्लीज इसे टक्कर का नाम ना दें। दो फिल्में एक ही दिन रिलीज हुईं। इसमें कोई समस्या की बात नहीं है। हां, तब समस्या जरूर होती, जब इन दोनों फिल्मों का विषय अगर एक जैसा होता। लेकिन यहां एक पंजाबी फिल्म थी तो दूसरी हिंदी। हमारा सौभाग्य है कि जब हमारी फिल्म पंजाब में रिलीज होती है तो लोग देखने जरूर जाते हैं।

आपको बॉलीवुड कैसी जगह लगी? क्या यहां कोई सच्चा दोस्त मिला?

काम जहां भी मिले, वह जगह बहुत अच्छी होती है। इस इंडस्ट्री में मैं सच्चे दोस्त बनाने नहीं आया हूं। मेरे सच्चे दोस्त पहले से ही हैं। लेकिन जिनके साथ मैं काम करता हूं, उनके साथ अच्छा तालमेल है।

ऐसा कहा जाता है कि बॉलीवुड में कुछ ज्यादा ही प्रतिस्पर्धा है। क्या आपको भी यही लगता है?
इसमें बुराई क्या है? मान लीजिए कि एक शख्स, जिसकी एक फिल्म फ्लॉप हो जाती है, फिर दूसरी भी और तीसरी भी सफल नहीं होती, तो निर्माता सोचेगा कि उसे किसी और के साथ काम करके देखना चाहिए। एक्टर भी सोचेगा कि चलो कुछ और आजमाते हैं। और ऐसा होना भी चाहिए, इसमें कोई बुराई नहीं है। बॉलीवुड ही क्यों, आप किसी और फील्ड में भी देख लो। अगर आप एक इंश्योरेंस पॉलिसी के एजेंट हैं, तो आपको बोला जाता है कि पहले इतनी पॉलिसी बेचकर आओ, तब हम तुम्हारी नौकरी पक्की करेंगे! दरअसल, ग्लैमर की वजह से फिल्म इंडस्ट्री की खबर उछलती ज्यादा है। वरना हर इंडस्ट्री में समीकरण एक जैसे ही होते हैं।

आपकी अगली हिंदी फिल्म ‘अर्जुन पटियाला’ है। उसके बाद करीना कपूर और अक्षय कुमार के साथ ‘गुड न्यूज’ है। अपने करियर के इस दौर को आप कैसे बयां करेंगे?

मैं खुश हूं कि मुझे यहां लगातार काम मिल रहा है। इस साल मेरी जितनी भी फिल्में आनी हैं, वो कमर्शियल कैटेगरी की हैं। बीते दो-एक सालों में मैंने गंभीर फिल्में की थीं। अगले साल एक-दो फिल्मों के अलावा फिर से मेरी एक-दो फिल्म गंभीर विषयों पर होंगी। फिलहाल यह साल मेरे लिए कमर्शियल ईयर है।

बॉक्स ऑफिस पर कमाई आपके लिए कितना मायने रखती है, क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि अगर फिल्म अच्छी हो तो उनके लिए कमाई का ज्यादा मतलब नहीं है?
बॉक्स ऑफिस पर कमाई ही तो अहम है। दूसरों के बारे में मैं नहीं जानता। पर मैं अपने बारे में बता सकता हूं। निर्माता को उसका पैसा वापस नहीं मिले, दर्शक को आपकी फिल्म पसंद नहीं आए- इसे मैं अपने लिए अच्छी बात नहीं मानूंगा। मैं चाहता हूं कि मेरी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई करे। अगर फिल्म अच्छी है तो यह लोगों को जरूर पसंद आएगी।

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