दिल्ली कांग्रेस में शीला दीक्षित और पीसी चाको के बीच वर्चस्व को लेकर छिड़ी जंग और तेज हो गई है। पार्टी के दिल्ली प्रभारी चाको ने जहां तीनों कार्यकारी अध्यक्षों से खुद जिम्मेदारी लेकर काम करने को कहा है। वहीं, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने तीनों कार्यकारी अध्यक्षों के बीच कामों का बंटवारा कर दिया है। इसके जरिए दो कार्यकारी अध्यक्षों का पर कतरने की बात भी कही जा रही है।
लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद दिल्ली कांग्रेस संगठन में मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। खासतौर पर पार्टी संगठन की 280 ब्लाक कमेटियों को भंग करने और नई कमेटियों का गठन करने का मामला पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच रस्साकशी का कारण बनी हुई है। इस बीच, पीसी चाको ने शीला दीक्षित की बीमारी का हवाला देते हुए तीनों कार्यकारी अध्यक्षों को खुद जिम्मेदारी लेकर काम करने को कहा है। शीला दीक्षित को लिखे अपने पत्र में चाको ने पुराने पत्रों का उल्लेख करते हुए कहा है कि दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। जबकि, कुछ तथाकथित प्रवक्ता अपनी गैरजिम्मेदारी भरा बयान दे रहे हैं। शीला दीक्षित से उन्होंने ऐसे प्रवक्ताओं को अनुशासित करने को भी कहा। चाको ने अपने पत्र में दीक्षित के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने तीनों कार्यकारी अध्यक्षों को अपने-अपने क्षेत्र में ब्लाक अध्यक्षों की बैठक करने और पार्टी संगठन को सक्रिय करने वाले निर्णय लेने को कहा है।
दूसरी ओर, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष और तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने इस पर कोई सीधी प्रतिक्रिया तो नहीं दी है। लेकिन, माना जा रहा है कि चाको के पत्र के क्रम में ही उन्होंने तीनों कार्यकारी अध्यक्षों के कामों का बंटवारा किया है। बुधवार को जारी निर्देश में उन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष हारुन यूसुफ और देवेन्द्र यादव को आने वाले विश्वविद्यालय चुनाव व एनएसयूआई और राजेश लिलोठिया को तीनों नगर निगम, यूथ कांग्रेस और कांग्रेस के प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है कि इस आदेश के जरिए हारुन यूसुफ और देवेन्द्र यादव के पर कतरने का प्रयास किया गया है और राजेश लिलोठिया को ज्यादा बड़ी जिम्मेदारियां दी गई हैं। हालांकि, इसमें भी दिल्ली विधानसभा का जिक्र नहीं होने के चलते इस पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के पहले से चल रही खींचतानः
दिल्ली कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनावों के पहले से ही चल रही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के मुद्दे पर पीसी चाको जहां खुलकर समर्थन कर रहे थे वहीं शीला दीक्षित इसके खिलाफ थीं। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों को समझाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी बैठकें करनी पड़ीं।
ब्लाक समितियों पर हो रहा है टकरावः
चुनावों में मिली हार के बाद दोनों नेताओं के बीच वैचारिक खाई और चौड़ी होती गई है। चुनावों में हार की समीक्षा के लिए शीला दीक्षित ने पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। हालांकि, यह समिति पार्टी के सातों उम्मीदवारों को भी एक साथ बैठाने में कामयाब नहीं हो सकी। जबकि, शीला दीक्षित ने कांग्रेस संगठन की सभी 280 ब्लाक समितियों को भंग कर दिया। इन समितियों का चुनाव पिछले वर्ष पूर्व दिल्ली अध्यक्ष अजय माकन के कार्यकाल में हुआ था। पीसी चाको की ओर से इन ब्लाक समितियों के भंग करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद इन समितियों के पुनर्गठन के लिए सभी जगहों पर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति शीला दीक्षित की ओर से की जा चुकी है।
कार्यकारी अध्यक्ष भी कर चुके हैं शिकायतः
इससे पूर्व तीनों कार्यकारी अध्यक्षों की ओर से शीला दीक्षित को पत्र लिखकर पार्टी संगठन के कामकाज में शामिल नहीं किए जाने की शिकायत की जा चुकी है। जबकि, पीसी चाको ने शीला दीक्षित को पत्र लिखकर कहा था कि तीनों कार्यकारी अध्यक्षों की बैठक तुरंत बुलाकर सभी मुद्दों पर उनके साथ विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया जाना चाहिए।