मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ करेगी. पीठ के अन्य न्यायाधीश एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर हैं.
सुप्रीम कोर्ट आज यानी मंगलवार से दशकों पुराने अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई नियमित रूप से करेगा. मामले में मध्यस्थता की पहल नाकाम होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया है. कोर्ट हफ्ते में तीन दिन (मंगलवार, बुधवार और गुरुवार) को इस मामले की सुनवाई करेगा. जिससे उम्मीद बनती है कि अयोध्या विवाद का हल नवंबर तक निकल आएगा.
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ करेगी. पीठ के अन्य न्यायाधीश एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर हैं.
बता दें कि बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता का कोई नतीजा नहीं निकला है. इसलिए मामले पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई की जाएगी और यह सुनवाई तब तक जारी रहेगी जब तक सभी पक्षों की बहस पूरी नहीं हो जाती.
हाईकोर्ट ने 3 बराबर हिस्सों में बांटने का दिया था आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2010 में राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था. इसमें एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को देने का आदेश था. इस फैसले को भगवान राम सहित हिंदू-मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
इन मामलों की सुनवाई होगी
अयोध्या विवाद से जुड़े कुल चौदह अपील, तीन रिट पीटिशन और एक अन्य याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इन सभी पर अब रोजाना तीन दिन सुनवाई होगी. सुनवाई की शुरुआत मूल वाद संख्या तीन और पांच से होगी. मूल वाद संख्या तीन निर्मोही अखाड़ा का मुकदमा है और मूल वाद संख्या पांच भगवान रामलला विराजमान का मुकदमा है. कोर्ट ने बीते शुक्रवार को मामले में बहस करने वाले वकीलों और पक्षकारों से आग्रह किया था कि जिन साक्ष्यों और दलीलों आदि को वो कोर्ट में पेश करने वाले हैं उसके बारे में पहले से बता दें ताकि कोर्ट स्टाफ उसे कोर्ट के सामने पेश करने के लिए तैयार रखे.