कांग्रेस, माकपा, भाकपा, राकांपा, तृणमूल, द्रमुक, राजद के नेता भी शामिल होंगे
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद अभी तक किसी भी नेता को श्रीनगर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद शनिवार को पहली बार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अलग-अलग विपक्षी दलों के नेताओं के साथ श्रीनगर जाएंगे। वे यहां राज्य के हालात का जायजा लेंगे और स्थानीय नागरिकों से भी मुलाकात करेंगे। इसी बीच जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से कहा गया है कि नेता राज्य का दौरा करने न आएं। उनके आने से शांति व्यवस्था बनाए रखने की कोशिशों में खलल पड़ सकता है। नेताओं को यहां आने से बचना चाहिए। अब तक किसी भी नेता को राज्य के अंदर प्रवेश नहीं करने दिया गया है।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस, माकपा, भाकपा, राकांपा, तृणमूल, द्रमुक, राजद के नेता भी शामिल होंगे। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा भी श्रीनगर का दौरा करेंगे। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, द्रमुक के तिरुचि शिवा, राजद के मनोज झा और राकांपा से दिनेश त्रिवेदी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे।
अनुमति मिलने पर वे अन्य हिस्सों में जा सकते हैं
यदि इन्हें अनुमति दी जाएगी तो ये राज्य के अन्य हिस्सों में भी जा सकते हैं। अभी तक, अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से राज्य में किसी भी राजनीतिक दल के नेता को जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। स्थानीय नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को नजरबंद रखा गया है।
राहुल-मलिक के बीच बहस हो चुकी है
इससे पहले, कांग्रेस के सांसद गुलाम नबी आजाद को राज्य में प्रवेश नहीं दिया गया था और उन्हें दो बार जाने से रोका गया था। डी राजा को भी श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस भेज दिया गया था। राहुल गांधी और राज्यपाल सत्यपाल मलिक के बीच राज्य का दौरा करने को लेकर ट्विटर पर बहस भी हो गई थी।
प्रशासन ने नेताओं को दौरा न करने को कहा है
इस बीच, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने नेताओं से अनुरोध किया है कि वे श्रीनगर का दौरा न करें क्योंकि ऐसा करने से वहां आम जनता को असुविधा हो सकती है। घाटी के कई क्षेत्रों में अभी भी पाबंदियां लागू हैं, जिनका नेताओं के दौरे से उल्लंघन हो सकता है।