मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार में वन मंत्री उमंग सिंघार ने पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह पर एक बार फिर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने दिग्जिवय सिंह को ब्लैकमेलर तक कह डाला है। सिंघार के इस बयान के विरोध में कई मंत्री सामने आए हैं और उन्होंने दिग्विजय सिंह को प्रदेश हित में काम करने वाला नेता बताया है।
सिंघार ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री सिंह पर आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने कहा, “ये सरकार और मंत्रियों को ब्लैकमेल करते हैं। 10 साल बनवास काटा इन्होंने। सरकार आ गई तो मलाई काटने आ गए। आम कार्यकतार् और जनता का क्या होगा। गुजरात तक शराब की सप्लाई करने में लगे हैं, अपने लोग बिठा रखे हैं। परिवहन विभाग किस तरह चला रहे हैं, यह सबको पता है। बेटे को स्थापित कर दिया है, अब चाहते क्या हैं।”
सिंघार ने कहा, “राज्य में कांग्रेस सरकार जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में आई है, उन्हें पूरा करना हमारा लक्ष्य है। राज्य में रेत खनन और अवैध शराब के कारोबार को दिग्विजय सिंह का संरक्षण है। रेत, शराब और परिवहन का इतिहास है, सबको पता है। अगर इसकी सीबीआई जांच हो जाए तो पता चल जाएगा कि वे कहां-कहां उलझे हुए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “गोवा में सरकार सिंह के कारण गई। आंध्र प्रदेश में जगन मोहन भी इन्हीं के कारण कांग्रेस से दूर हुआ।” राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी. सी. शर्मा सिंह के बचाव में सामने आए हैं। उनका कहना है, “सिंह प्रदेश और जनता के हित में मार्गदर्शन देते हैं, वह वरिष्ठ नेता हैं। सिंघार को अगर कोई आपत्ति थी तो उन्हें मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के सामने अपनी बात कहनी थी। अगर बात नहीं सुनी जाती तब पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास मामला ले जाते। वास्तव में सिंघार प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ पिछड़ गए थे, उसी के चलते यह बयान दिया होगा।”
राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने दिग्विजय सिंह द्वारा मंत्रियों को लिखे गए पत्र का समर्थन करते हुए ट्वीट किया, “मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार हमारे कार्यकर्ताओं की मेहनत और जनता के आशीर्वाद से बनी है। आज हमारे सामने चुनौती देश के संविधान को कायम रखने की है। भाजपा से शोषित किसान, मजदूर एवं युवा हमारी ओर आशाभरी निगाहों से देख रहा है। पत्राचार एक प्रजातांत्रिक व्यवस्था है। इसमें कुछ गलत नही है।”
वन मंत्री सिंघार द्वारा लगाए गए आरोपों पर पूर्व मुख्यमंत्री सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई, मगर उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय द्वारा मंत्रियों को लिखे गए पत्र पर सवाल उठाते हुए वन मंत्री ने कहा था, “एक तो उन्होंने पत्र लिखा और फिर उसे वायरल किया। इसके जरिए वह खुद को शैडो मुख्यमंत्री बताना चाह रहे हैं। अगर कोई पार्टी को नुकसान पहुंचाता है तो आवाज उठाना उनका काम है, लेकिन इतने बड़े नेता नहीं हैं कि कुछ भी कहें।”
ज्ञात हो कि दिग्विजय ने राज्य के सभी मंत्रियों को एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा था, “मेरे द्वारा जनवरी 2019 से 15 अगस्त 2019 तक स्थानांतरण सहित विविध विषयों से संबंधित आवेदन पत्र आवश्यक कार्यवाही हेतु आपको भेजे गए थे। मेरे द्वारा आपको पृथक से पत्र लिखकर मेरे पत्रों पर की गई कार्यवाही से अवगत कराने और यदि किसी प्रकरण में कार्यवाही संभव नहीं है तो उसकी जानकारी देने का भी अनुरोध किया गया था। मेरे द्वारा आपको भेजे गए उक्त पत्रों पर की गई कार्यवाही के बारे में जानने के लिए मैं आपसे 31 अगस्त, 2०19 के पूर्व भेंट करना चाहता हूं। कृपया 31 अगस्त, 2019 से पूर्व मुझे भेंट हेतु समय प्रदान करने का कष्ट करें।”
दिग्विजय का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो वन मंत्री सिंघार ने उन पर हमला बोला था और पाटीर् अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। सिंघार ने दिग्विजय सिंह को मुलाकात के लिए मंगलवार शाम चार बजे का समय दिया था, मगर सिंह के विशेष सहायक भूपेंद्र गुप्ता की तरफ से मंत्री कायार्लय को सूचित किया गया कि पूर्व मुख्यमंत्री छह सितंबर से आठ सितंबर तक भोपाल में रहेंगे।