नई दिल्ली. देश की जनगणना के 140 साल के इतिहास में पहली बार मोबाइल ऐप से आंकड़े जुटाए जाएंगे। करीब 33 लाख जनगणना कर्मचारी घर-घर जाकर जानकारी लेंगे। सोमवार को जनगणना भवन के शिलान्यास के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में पहली बार 2021 की जनगणना डिजिटल तरीके से होगी। इसके लिए केंद्र सरकार एक खास एंड्रायड मोबाइल ऐप विकसित करवा रही है। उन्होंने सभी जरूरी नागरिक सुविधाओं के लिए एक यूनिवर्सल कार्ड लाने के संकेत भी दिए। शाह ने कहा कि आधार, पासपोर्ट, बैंक खाते, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र आदि के बदले सिर्फ एक कार्ड की योजना संभव है।
गृह मंत्री ने कहा कि डिजिटल तरीके से जनसंख्या के आंकड़े जुटाने से कागजी जनगणना से कम वक्त लगेगा। जनगणना की नई तकनीक में ऐसे भी इंतजाम होंगे कि अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो यह स्वत: ही जनसंख्या के आंकड़े में अपडेट हो जाएगा। आबादी के आंकड़े जुटाकर सरकारी सुविधाओं को उन तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है।
शाह के मुताबिक, 2021 की जनगणना में पहली बार नेशनल पॉपुलेश रजिस्टर (एनपीआर) तैयार किया जा रहा है। एनपीआर देश में विभिन्न सरकारी समस्याओं को सुलझाने में मदद करेगा। साथ ही पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित आंकड़ों को जनगणना में शामिल किया जाएगा। डिजिटल जनगणना में 12 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा।
जनगणना दो चरणों में पूरी होगी
केंद्र सरकार ने मार्च में बताया था कि जनगणना दो चरणों में पूरी कराई जाएगी और इसका काम 1 मार्च 2021 से शुरू होगा। जबकि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्य जहां बर्फबारी होती है, वहां यह अक्टूबर 2020 से शुरू हो जाएगी। जनगणना के लिए 12 अगस्त को प्री-टेस्ट शुरू हुआ था, जो इस महीने पूरा हो सकता है। पिछले महीने गृह सचिव राजीव गौबा ने कहा था कि जनगणना सिर्फ लोगों की गणना करना नहीं होगा, बल्कि इसमें सामाजिक-आर्थिक आंकड़े भी जुटाए जाएंगे। इससे योजनाओं के निर्माण और उनके लिए संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी।