मान्यता है कि भाई दूज के दिन अगर भाई-बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह अत्यंत मंगलकारी और कल्याणकारी होता है.
भाई दूज (Bhai Dooj) या भैया दूज का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर भोजन कराती हैं. मान्यता है कि भाई दूज के दिन अगर भाई-बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह अत्यंत मंगलकारी और कल्याणकारी होता है. दिवाली के दो दिन बाद आने वाले इस त्योहार को यम द्वितीया (Yam Dwitiya) भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है. हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है. दीपावली के दो दिन बाद भैया दूज आता है. इस बार भाई दूज या यम द्वितीया 29 अक्टूबर को है.
भैया दूज का शुभ मुहूर्त-
29 अक्टूबर को प्रातः से ही भैया दूज लग जायेगा। उदया तिथि के कारण यह पर्व 29 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
बहनों द्वारा भाइयों को तिलक करने का मुहूर्त
29 अक्टूबर को दिन में 01 बजकर 10 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक।
भाई दूज के दिन बहनें इस तरह करें पूजा
इस समय के पहले बहनें निराजल व्रत रहेंगी। इस शुभ मुहूर्त में बहनें भाई को तिलक कर उनकी आरती करेंगी तथा मिठाई खिलाने के बाद उनको अपने हाथ का बना भोजन कराएंगी।भाई बहन की रक्षा तथा उसकी खुशहाली का संकल्प लेगा तत्पश्चात बहनें भोजन करेंगी।
इस दिन यमुना स्नान करने का महान अवसर
यमुना के तीरे भगवान कृष्ण ने तमान लीलाएं की हैं। भैया दूज के दिन पूर्वान्ह में यम की पूजा करके यमुना नदी में स्नान करने से वह यमलोक की यातनाएं नहीं भोगता है। वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। इस दिन यमुना स्नान करने से भगवान कृष्ण की असीम कृपा प्राप्त होती है। इस दिन यदि आप घर पर हैं तो यमुना का जल डालकर स्नान करने से भी अद्भुत फल की प्राप्ति होती है।
इस दिन दान का महत्व
भैया दूज के पर्व पर दान का बहुत महत्व है।इस दी गोशाला अवश्य जाएं तथा गो माताओं को भोजन कराएं।इस दिन अन्न दान करें। अस्पताल में गरीब मरीजों को फल तथा भोजन वितरण करें। अनाथालय में वस्त्र दान करें।