वॉशिंगटन: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कहा कि सरकार द्वारा कुछ संरचनात्मक बदलावों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के कारण भारत के पास अगले एक या दो दशक में उच्च स्तर तक वृद्धि करने की क्षमता है. जेटली ने वॉशिंगटन में अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदार मंच द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ महीनों में व्यापार करने का पूरा माहौल बदल गया है. उन्होंने कहा, ‘भारत के पास अगले एक या दो दशक में उच्च स्तर तक वृद्धि करने की क्षमता है. यह मुख्यत: सरकार द्वारा किए जा रहे संरचनात्मक सुधारों, वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलावों और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के बड़े मौकों के कारण हुआ है.’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘मैं अब स्पष्ट तौर पर कह सकता हूं कि दुनिया में वृद्धि वापस आ रही है, जहां तक भारत की बात है, भविष्य एक महत्वपूर्ण दिशा तय करेगा. देश और अर्थव्यवस्था का विशाल आकार अगले कुछ साल में भारत में निवेश के बड़े अवसर देगा.’ जेटली ने कहा कि वर्ष 2014 में जब भाजपा की सरकार केंद्र में आयी तो हमारे पास एक विकल्प था कि हम दूसरा रास्ता अपनाएं और कालेधन पर आधारित ‘छद्म अर्थव्यवस्था’ को चलने दें.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘लेकिन हमने ऐसा नहीं किया, हमने कुछ साहसी कदम उठाए जिसकी परिणति उच्च मूल्य वाले मुद्रा नोटों को चलन से बाहर करने के रूप में हुई.’ जेटली ने कहा कि सरकार को पता है कि लघु अवधि में इसका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा, ‘लेकिन दीर्घावधि में यह देश के लिए फायदेमंद है.’ वह यहां कॉर्पोरेट जगत की हस्तियों और निवेशकों से रूबरू थे. भारत को एक निवेश अनुकूल देश बताते हुए जेटली ने कहा कि उनकी सरकार ने कारोबार सुगमता के लिए कदम उठाए हैं.
जेटली ने अमेरिका में कहा, जीएसटी-नोटबंदी की सुस्ती का असर खत्म हो रहा है
उन्होंने कहा, ‘भारत आज दुनिया की सबसे खुली और वैश्विक तौर पर एकीकृत अर्थव्यवस्था है. पिछले कुछ साल में कारोबार सुगमता रैंकिंग में हम बेहतर हो रहे हैं.’ उन्होंने इस संबंध में सरकार की कुछ पहलों का भी जिक्र किया.
सरकारी कामकाज में नयी डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल और इसे लोगों के लिए लाभकारी बनाने के लिए सरकार ने कई ‘बड़े कदम’ उठाए हैं. जेटली ने कहा, ‘आज की तारीख में लगभग सभी लोग बैंकिंग प्रणाली से जुड़े हैं. भारत में लगभग हर वयस्क की बायोमीट्रिक पहचान है. एकीकृत आंकड़े डिजिटल प्रणाली के माध्यम हर नागरिक तक पहुंचने में सरकार की मदद करते हैं.’
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘इससे हमें अरबों डॉलर बचाने में मदद मिली है.’ भारत अब तकनीक का ‘बड़े पैमाने पर उपयोग’ कर रहा है और इसने यह सुनिश्चित करने में मदद की है कि संसाधन सही तरीके से लक्षित आबादी तक पहुंचे. माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के बारे में जेटली ने कहा कि यह एक ‘अधिक प्रभावी प्रणाली है जिसने देश को एक साथ लाया है. आर्थिक रुप से भी इसने देश भर में माल एवं सेवाओं की मुक्त आवाजाही’ सुनिश्चित की है.
हालांकि उन्होंने माना कि इससे एक या दो तिमाही में व्यवधान रहेगा. वह यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्वबैंक की सालाना बैठक में शामिल होने आए थे. उल्लेखनीय है कि अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदार मंच के सदस्यों में एपल, बोइंग, गूगल इत्यादि कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हैं. जबकि इस कार्यक्रम में अमेरिकी सरकार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया. अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदार मंच के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि जेटली की यात्रा महत्वपूर्ण है. भारत में कई सुधार हुए हैं और उसकी आर्थिक वृद्धि की क्षमता में पिछले कुछ सालों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है. वहां निवेश की बेहतर संभावनाएं हैं.