तेहरान (ईरान): अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपनी सरकार की आलोचना के बाद ईरान के लोगों ने अपने रोष का इजहार किया और उनके बयान का मजाक उड़ाया. ट्रंप ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को ऐतिहासिक परमाणु संधि तोड़ने की धमकी दी थी. ट्रंप ने ‘फारस की खाड़ी’ की बजाय ‘अरब की खाड़ी’ का इस्तेमाल किया. तेहरान के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी सऊदी अरब के संबंध में ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जारिफ ने ट्विटर पर कहा, ‘‘सबको पता है कि ट्रंप की दोस्ती सबसे अधिक बोली लगाने वालों के लिए बिकाऊ थी…’’ अरब शासकों की तरफ से दबाव के बावजूद अधिकतर अंतरराष्ट्रीय संगठन अब भी इलाके के जलक्षेत्र के लिए ‘फारस की खाड़ी’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं.
कई ईरानी लोगों ने 1990 के दशक के ‘फारस की खाड़ी के संघर्ष’ से संबंधित अमेरिका के पूर्व सैनिकों के पदक और कब्र को साझा किया. व्हाइट हाउस में शुक्रवार को अपने संबोधन में ट्रंप ने ‘ईरान की तानाशाही’ से जुड़ी शिकायतों का जिक्र किया. उन्होंने तेहरान की सरकार पर आतंकवाद के वित्त पोषण और पश्चिम एशिया एवं पूरे विश्व में लगातार आक्रामक रुख अख्तियार करने का आरोप लगाया.
ईरान ने ट्रंप के बयान को नकारा, कहा- परमाणु समझौते को ‘एकतरफा’ रद्द नहीं कर सकता अमेरिका
ट्रंप ने वर्ष 2015 के परमाणु संधि को ‘समाप्त’ करने की धमकी दी. ईरान और छह अन्य वैश्विक ताकतों के बीच यह संधि हुई थी. हालांकि शनिवार (14 अक्टूबर) को ईरान में नये कामकाजी सप्ताह शुरू होने पर अपने कार्यालयों की तरफ जा रहे लोगों ने अपना आक्रोश प्रकट किया.
केवल अपना पहला नाम बताने वाले 40 वर्षीय बैंकर ने कहा, ‘‘ट्रंप के हास्यास्पद बयान ईरान के पक्ष में हैं. ‘अरब की खाड़ी’ से जुड़े बयान को लोगों ने बहुत गलत तरीके से लिया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यूरोपीय लोगों की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि अमेरिका अलग-थलग पड़ गया है और केवल सऊदी अरब और इस्राइल ने ट्रंप का समर्थन किया.’’
ट्रंप ने परमाणु समझौते को प्रमाणित करने से किया इनकार, ईरान शासन को बताया ‘कट्टरपंथी’
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के शासन को ‘कट्टरपंथी’ बताते हुए उसकी निंदा की है और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कहा कि वह इस समझौते को परामर्श के लिए कांग्रेस के पास भेज रहे हैं और अपने सहयोगियों से सलाह लेंगे कि इसमें क्या बदलाव किया जाए. उन्होंने ईरान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया और कहा कि वह ईरान को परमाणु हथियार के रास्ते पर नहीं चलने देंगे.
अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि ईरान 2015 में हुए परमाणु समझौते का पूरी तरह पालन कर रहा है. ट्रंप ने हालांकि कहा कि समझौता बेहद लचीला है और ईरान ने “कई बार समझौते का उल्लंघन किया.” उन्होंने कहा कि ईरान ने समझौते का उल्लंघन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को पूर्ण निरीक्षण नहीं करने दिया.