राजस्थान के कोटा जिले के जेके लोन अस्पताल में दिसंबर के अंतिम दो दिन में कम से कम नौ और शिशुओं की मौत हो गई। इसके साथ ही इस महीने अस्पताल में मरने वाले शिशुओं की संख्या 100 हो गई है। इस मामले में राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा है कि हम इससे दुखी हैं, बच्चों को चिकित्सा उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है। कई बच्चे गंभीर हालत में लाए गए थे। बीजेपी चाहें तो ऑडिट कर सकती है। जो भी बच्चे बचने की हालत में थे, हमने उन्हें बचा लिया है।
गत 23-24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा हुआ था। हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों ने कहा था कि यहां 2018 में 1,005 शिशुओं की मौत हुई थी और 2019 में उससे कम मौतें हुई हैं। अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार अधिकतर शिशुओं की मौत मुख्यत: जन्म के समय कम वजन के कारण हुई।
मंगलवार को लॉकेट चटर्जी, कांता कर्दम और जसकौर मीणा समेत भाजपा सांसदों के एक संसदीय दल ने अस्पताल का दौरा कर उसकी हालत पर चिंता जतायी थी। दल ने कहा कि एक ही बेड पर दो-तीन बच्चे थे और अस्पताल में पर्याप्त नर्सें भी नहीं हैं। इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य की कांग्रेस सरकार को नोटिस जारी किया था। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था, “अस्पताल परिसर के भीतर सुअर घूमते पाए गए।” राजस्थान सरकार की एक समिति ने कहा कि शिशुओं का सही इलाज किया जा रहा है।
कोटा हॉस्पिटल मामला नजरंदाज करने पर मायावती का प्रियंका पर हमला
मायावती ने ट्वीट किया, “कांग्रेस शासित राजस्थान के कोटा जिले में हाल ही में लगभग 100 मासूम बच्चों की मौत पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की चुप्पी साधे रहना बहुत दुखद है। अच्छा होता कि वह उप्र की तरह उन गरीब पीड़ित माताओं से भी जाकर मिलतीं, जिनकी गोद केवल उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही के कारण उजड़ गई हैं।”
उन्होंने कहा, “यदि कांग्रेस की महिला राष्ट्रीय महासचिव राजस्थान के कोटा में जाकर मृतक बच्चों की माताओं से नहीं मिलती हैं तो यहां अभी तक किसी भी मामले में उप्र पीड़ितों के परिवार से मिलना केवल इनका यह राजनैतिक स्वार्थ व कोरी नाटकबाजी ही मानी जाएगी, जिससे उप्र की जनता को सतर्क रहना है।”
मायावती ने कहा कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार का रवैया निंदनीय है, जिसने कोटा में 100 बच्चों की मौत पर कोई सही कदम नहीं उठाया है। वे खुद व उनकी सरकार इसके प्रति अभी भी उदासीन, असंवेदनशील व गैर-जिम्मेदार बनी हुई है। प्रियंका गांधी ने बुधवार को 14 महीने की एक बच्ची का मुद्दा उठाया था जिसके माता-पिता को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तार कर लिया गया था।