संस्कृत में त्रि का अर्थ है तीन और फला का अर्थ है फल । त्रिफला (Triphala) तीन फलों के पाउडर से बना हुई एक प्राकृतिक ओषधि है।
त्रिफला चूर्ण तीन योगों यानि आयुर्वेदिक
फलों के समिश्रण से निर्मित होता है।
सूखा आंवला,
छोटी हरड़,
बहेड़ा।
◆ वात दोष (दिमाग और शरीर में संचार)
◆ कफ दोष (शरीर की संरचना और द्रव संतुलन)
◆ पित्त दोष (शरीर में पाचन प्रक्रिया पर नियंत्रण
करने में त्रिफला उपयोगी है।
त्रिफला चूर्ण में छोटी हरड़ का ही उपयोग लाभप्रद है अन्यथा फायदेमंद नहीं होता। देश की लगभग सभी कम्पनियां त्रिफला चूर्ण में बड़ी हरड़ का उपयोग कर रही हैं, क्योंकि दवनों के मूल्य में जमीन आसमान का अंतर रहता है।
वर्तमान में छोटी हरड़ का मूल्य लगभग 300/- रुपये किलो है और बड़ी हरड़ का 60 रूप किलो करीब है।
इसलिए त्रिफला चूर्ण का सेवन करना हो, तो घर में ही तीनों फल आँवला सूखा, छोटी हरड़ या हरीतकी एवं बहेड़ा या विभितकी सभी समभाग लाकर निर्मित करें।
बाजार में बिक रहे अधिकांश त्रिफला चूर्ण बहुत ज्यादा असरकारी नहीं है। त्रिफला को आयुर्वेद में अमृतः औषधि कहा गया है। इसमें मिलाया गया आंवला एंटीऑक्सीडेंट होता है यानि कि इसके सेवन से शरीर की शिथिल, नाकाम नदियों, ऊतकों में ऑक्सीजन का प्रवाह सुचारू रूप से होने लगता है।
बालों के लिए भी बहेड़ा एक चमत्कारी उत्पाद है।
■ पेट के कीड़ो को खत्म करने में त्रिफला पाउडर खाने से आराम मिलता है।
■ त्रिफला में पांच अलग-अलग प्रकार के स्वाद होते हैं (खट्टा, मीठा, नमकीन, कड़वा, तीखा)। ये तीन फल शरीर के तीन दोषों को ठीक करने के लिए जाने जाते है।
■ त्रिफला, सांस संबंधी रोगों में लाभदायक है और इसका नियमित सेवन करने से सांस लेने में होने वाली असुविधा भी दूर हो जाती है।
■ त्रिफला हड्डी यानि अस्थि, केश, दाँत व पाचन-संस्थान को बलवान बनाता है। इसका नियमित सेवन शरीर को निरामय, सक्षम व फुर्तीला बनाता है। यदि गर्म पानी के साथ सोते समय एक चम्मच ले लिया जाए तो क़ब्ज़ नही रहता।
■ त्रिदोष का नाश करता है।
शरीर के लगभग हरेक विकार को शान्त करने में उपयोगी है।
अमॄतम च्यवनप्राश में विशेष रूप से त्रिफला का समावेश है।