अर्थशास्त्री बजट 2020-21 एक संतुलित, विकासोन्मुख, निवेश और उपभोग को बढ़ावा देने वाला बजट है. यह मुद्रास्फीति को बढ़ाने वाला नहीं है और राजकोषीय घाटे को 3.5 प्रतिशत पर रोकने में सक्षम है. यह बजट कृषि, ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण पर ध्यान देने वाला यथार्थवादी बजट है, जो पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और किसानों की आय को दोगुना करने का मार्ग प्रशस्त करता है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के जरिये ऊर्जावान भारत, समृद्ध मानव पूंजी और एक स्वस्थ भारत के लिए समग्र विकास की नींव रखी है. यह रोजगार पैदा करने में मदद करेगा और इससे औद्योगिक उत्पादन में इस वर्ष 0.6 प्रतिशत से पांच प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. शिक्षा क्षेत्र को 99,300 करोड़ रुपये का आवंटन, शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एफडीआइ को आमंत्रित करने और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिए नये संस्थानों की स्थापना करके शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री की चिंता सराहनीय है. मेरी राय में, सरकार को नये संस्थानों की स्थापना करते समय यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ट्रस्टों और समाज द्वारा स्थापित मौजूदा संस्थानों और कॉलेजों को बंद न किया जाये. बजट में लाया गया कर प्रस्ताव स्वागतयोगय है.
यह व्यक्तिगत करदाताओं को उनकी क्रय शक्ति बढ़ाने और पांच लाख की आय पर कर नहीं देने, पांच लाख से साढ़ सात लाख तक की आय के लिए 10 प्रतिशत, 10 से 12.5 लाख आय के लिए 20 प्रतिशत, 12.5 से 15 लाख आय के लिए 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से ऊपर की आय के लिए 30 प्रतिशत कर की घोषणा से खपत को बढ़ावा मिलेगा. बजट देश के प्रत्येक नागरिक के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने वाला है.