शराब कारोबारी विजय माल्या ने एक बार फिर भारतीय बैंकों से कहा है कि वह लिया गया पूरा का पूरा मूल कर्ज वापस करने को तैयार है। भारत प्रत्यर्पित करने के खिलाफ अपनी अपील पर सुनवाई के अंतिम दिन गुरुवार (13 फरवरी) को माल्या ने यह बात कही। माल्या पर सरकारी बैंकों को 9,000 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय को उसकी तलाश है। लेकिन लंदन में माल्या ने कहा- मैं हाथ जोड़कर बैंकों से अनुरोध करता हूं कि वह अपना शत प्रतिशत मूल धन हमसे तुरंत ले सकते हैं। माल्या के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय इनकार कर रहा है क्योंकि वह उसी संपत्ति पर दावा कर रहा है जिस पर बैंक दावा कर रहे हैं।
Fugitive liquor baron Vijay Mallya in London: CBI & ED have been unreasonable, all they have been doing to me over the past 4 years is totally unreasonable. I request the banks with folded hands to take 100% of your prinicipal back immediately. https://t.co/LoB42DTzVk pic.twitter.com/dMc0yRDtF6
— ANI (@ANI) February 13, 2020
भारत सरकार की से पेश हो रही राजशाही अभियोजन सेवा (सीपीए) माल्या के वकील के उस दावे का खंडन करने के लिए सबूतों को उच्च न्यायालय लेकर गई है, जिसमें कहा गया था कि मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुथनॉट ने यह गलत पाया कि माल्या के खिलाफ भारत में धोखाधड़ी और धन शोधन का प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
सीपीएस के वकील मार्क समर्स ने बृहस्पतिवार (13 फरवरी) को बहस शुरू करते हुए कहा, “उन्होंने (किंगफिशर एयरलाइन ने बैंकों को) लाभ की जानबूझकर गलत जानकारी दी थी।” लार्ड जस्टिस स्टेफन ईरविन और जस्टिस इलिसाबेथ लाइंग ने कहा कि वे “बहुत जटिल मामले पर विचार करने के बाद किसी ओर तारीख को फैसला देंगे।” दो न्यायाधीशों की यह पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
माल्या प्रत्यर्पण वारंट को लेकर जमानत पर है। उसके लिए यह जरूरी नहीं है कि वह सुनवाई में हिस्सा ले, लेकिन वह अदालत आया। वह मंगलवार (11 फरवरी) से ही सुनवाई में हिस्सा लेने के लिए आ रहा, जब अपील पर सुनवाई शुरू हुई थी। बचाव पक्ष ने इस बात को खारिज किया है कि माल्या पर धोखाधड़ी और धन शोधन का प्रथम दृष्टया मामला बनता है। बचाव पक्ष का जोर इस बात पर रहा कि किंगरफिशर एयरलाइन आर्थिक दुर्भाग्य का शिकार हुई है, जैसे अन्य भारतीय एयरलाइनें हुई हैं।
समर्स ने दलील दी कि 32000 पन्नों में प्रत्यर्पण के दायित्वों को पूरा करने के लिए सबूत हैं। उन्होंने कहा कि न केवल प्रथम दृष्टया मामला बनता है, बल्कि बेईमानी के अत्यधिक सबूत हैं। जिला न्यायाधीश (अर्बुथनॉट) विस्तार से सबूत रखे गए थे और फैसला भी व्यापक और विस्तृत है जिसमें गलतियां है, लेकिन इसमें प्रथम दृष्टया मामले पर कोई असर नहीं पड़ता है। अपील पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और लंदन में भारतीय उच्चायोग के अधिकारी मौजूद रहे।