होली २०२० (Holi 2020): गजकेसरी योग में ग्रह-नक्षत्र एक ख़ास दशा में होते हैं जिसका विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है…
होली २०२० (Holi 2020): होली का त्योहार इस बार 10 मार्च की है. 9 मार्च को होलिका दहन है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. इसके अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है. होली के दिन इस बार कई सालों बाद एक विशेष संयोग बन रहा है, इस संयोग का नाम है- गजकेसरी योग. करीब 500 सालों बाद होली पर गजकेसरी का शुभ संयोग बन रहा है.
500 साल बाद बन रहा है गजकेसरी योग:
गजकेसरी योग में ग्रह-नक्षत्र एक ख़ास दशा में होते हैं जिसका विभिन्न राशियों के जातकों पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है. गज का शाब्दिक अर्थ है हाथी और केसरी का अर्थ है शेर. ज्योतिष शास्त्र में, हाथी और शेर को राजसी सुख से जोड़कर देखा गया है. भगवान शिव के पुत्र श्री गणेश को गज का ही रूप माना जाता है. गजकेसरी योग में गुरु बृहस्पति और शनि अपनी ही स्वराशियों में रहेंगे. जिससे जातकों के जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य में बढ़त होगी. ब्रहस्पति धनु राशि में और शनि मकर राशि में रहेंगे. बता दें कि इससे पहले 3 मार्च 1521 में यह ख़ास संयोग बना था.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन 9 मार्च, सोमवार की शाम में किया जाएगा.
संध्या काल का मुहूर्त: शाम को 06 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है.भद्रा पुंछा का मुहूर्त: सुबह 09 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 51 मिनट तक भद्रा पुंछा रहेगी.
भद्रा मुखा : सुबह 10 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक भद्रा मुखा रहेगी.
होलिका दहन का महत्व और कथा
हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो कि राक्षस की तरह अपना जीवन जीता था. वह अपने आप को शक्तिशाली मनाने के लिए हर दिन पूजा करता था और एक दिन उसे वरदान मिल गया. वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था. वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा. हिरण्यकश्यप का एक बेटा था जिसका नाम प्रहलाद था और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था.
प्रहलाद ने अपने पिता की बात कभी नहीं मानी और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा. इस बात से नाराज होकर हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे की मारने का फैसला लिया. उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए क्योंकि होलिका आग में जल नहीं सकती थी. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका जिसे अग्नि से न जलने का वरदान प्राप्त था. ऐसे में राजा की योजना प्रहलाद को जलाने की थी, लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया. लेकिन होलिका जलकर राख हो गई. इसके बाद भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया. ऐसे में इस त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी मनाते हैं.