25 मार्च 2020 से चैत्र नवरात्रि 178 साल पहले बना था ऐसा ही दुर्लभ संयोग

बुधवार, 25 मार्च 2020 से चैत्र नवरात्रि शुरू रही है। इसी दिन कलश स्थापना होगी और हिन्दू नववर्ष शुरू होगा। इस तिथि पर गुड़ी पड़वा और श्री झुलेलाल जयंती भी मनाई जाएगी। इस नवरात्रि में एक विशेष संयोग बन रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार नवरात्रि के बीच में ही गुरु अपनी राशि धनु से मकर में जाएगा। मकर गुरु की नीच राशि है। यानी नवरात्रि के मध्य में ही गुरु नीच का हो जाएगा। चैत्र नवरात्रि गुरुवार, 2 अप्रैल तक रहेगी।

178 साल पहले बना था ऐसा ही दुर्लभ संयोग

पं. शर्मा के अनुसार 11 अप्रैल 1842 से चैत्र माह की नवरात्रि शुरुआत हुई थी। इस नवरात्रि में 16 अप्रैल को गुरु ग्रह ने धनु से मकर राशि में प्रवेश किया था। इस साल 2020 में भी ऐसा ही संयोग बन रहा है। 25 मार्च से नवरात्रि शुरू होगी और 29 मार्च को गुरु राशि बदलकर मकर राशि में जाएगा। मकर राशि में मंगल, गुरु और शनि का योग बनेगा।

विक्रम संवत् 2077 शुरू होगा

25 तारीख से हिन्दी नववर्ष विक्रम संवत् 2077 शुरू होगा। इसका नाम प्रमादी है। नवरात्रि बुधवार से शुरू होगी अगले सप्ताह गुरुवार को खत्म होगी। प्रमादी संवत् के राजा बुध और मंत्री चंद्र होंगे। बुध और चंद्र आपस में शत्रु भाव रखते है। ऐसे में मंत्री और राजा के बीच मतभेद होने से प्रजा को कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।

कैसा रहेगा नववर्ष

पं. शर्मा के अनुसार नववर्ष में फसलों पर नकारात्मक प्रभाव, अल्प वर्षा और जनता को करों का ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है। भारत, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, ईरान, चीन, बांग्लादेश, म्यांमार के लिए नया वर्ष मुश्किलों से भरा हो सकता है। इन क्षेत्रों में भूकंप का झटका आ सकता है। मंहगाई, तनाव, विवाद की स्थितियां ज्यादा रहेंगी।

ये हैं नौ दिन की नौ देवियां

नवरात्रि के पहले दिन की देवी शैलपुत्री, दूसरे दिन की ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ स्वरुप हैं, नवरात्रि में इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है।

सूर्य पूजा का माह खरमास 14 मार्च से 13 अप्रैल तक, रोज सुबह सूर्य को जल चढ़ाकर बोलें मंत्र

शनिवार, 14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने से खरमास शुरू हो जाएगा। ये माह 13 अप्रैल तक रहेगा। 13 तारीख को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा और खरमास खत्म हो जाएगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस माह सूर्य गुरु ग्रह की सेवा में रहते हैं। इस वजह से इन दिनों में शुभ कर्म वर्जित रहते हैं। इस माह में सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए। 13 मार्च को मीन संक्रांति होने से इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, दान-पुण्य करना चाहिए। जानिए इस माह में सूर्य पूजा करने के लिए सरल पूजन विधि…

भविष्य पुराण में बताया सूर्य पूजा का महत्व

भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के संवाद बताए गए है। सांब श्रीकृष्ण के पुत्र थे। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने सांब को सूर्य देव की महिमा बताई है। श्रीकृष्ण ने सांब को बताया कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य की पूजा करता है, उसे ज्ञान की प्राप्ति होती है। स्वयं मैंने भी सूर्य की पूजा की और इसी के प्रभाव के दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई है।

जानिए पूजा की सरल विधि

सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें, इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद सूर्य मंत्र का जाप करें।
> सूर्य मंत्र – ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम:, ऊँ आदित्याय नमः, ऊँ दिनकराय नमः, ऊँ दिवाकराय नमः, ऊँ खखोल्काय स्वाहा इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। उपासना में धूप, दीप जलाएं और सूर्य का पूजन करें।
सूर्य के लिए कर सकते हैं ये शुभ काम
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 सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। हर रविवार सूर्य के लिए व्रत करें।

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