AIIMS में इलाज कराने आए मान सिंह कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर हुए लॉकडाउन के चलते यहीं फंस गए. दरअसल 24 मार्च को पीएम ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी. ऐसे में ये अपने गांव नहीं लौट पाए.
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) को लेकर लॉकडाउन के दौरान दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के बाहर इलाज कराने आए लोगों की भारी भीड़ लगी है. यहां कई लोग लॉकडाउन के चलते फंस गए. गेट नंबर एक के बाहर फुटपाथ पर हमारी मुलाकात मान सिंह से हुई. साल 2019 में जब उनकी पत्नी बीमार हुईं तो वो इलाज के लिए बरेली में कई जगह गए. इस चलते सारा पैसा खत्म हो गया, लेकिन वो ठीक नहीं हुईं. नवंबर में वह पत्नी को लेकर दिल्ली के एम्स आ गए. यहां उनके जैसे कई लोग हैं, जो दो वक्त के खाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
Punjab: Congress Councillor Monika Sharma along with party workers and NGOs distributed food to the needy today in Amritsar. #CoronaLockdown pic.twitter.com/yvp0UEZey6
— ANI (@ANI) March 29, 2020
‘एक-एक टुकड़े के लिए तरस रहे हैं’
अपनी पत्नी से मिलाने वो हमें पास के सबवे में ले गए. वहां उन्होंने अपनी पत्नी सुमन देवी से मिलाया. पिछले 72 घंटों में उन्हें ठीक से खाना नहीं मिला है. वह उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से इलाज कराने के लिए यहां पहुंचे हैं. मान सिंह ने कहा, ‘देखिए चारों तरफ अन्न के भंडार हैं. ऐसे भी लोग हैं जिनके पास खाने को तो बहुत कुछ है, लेकिन मैं किसान हूं जिसे लोग अन्नदाता कहते हैं, लेकिन हम आज एक-एक दाने के लिए तरस रहे हैं.’
A contractor in Hyderabad has made temporary shelters for his migrant labourers at a construction site. Contractor Syed Munawwar says,"If they remain healthy they can arrange food but if they get infected with #COVID19 then that would cost them more. We're taking all precautions" pic.twitter.com/aQaBxO6i9F
— ANI (@ANI) March 29, 2020
लॉकडाउन में ऐसे फंसे
एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में उनकी पत्नी का तीन महीने तक इलाज किया गया, जहां से उन्हें कैंसर वार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया. उनकी पत्नी को पैनक्रिएटिक कैंसर है. ये बेहद खतरनाक है. इस कैंसर से ग्रसित 95 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. सिंह की पत्नी को 19 मार्च को कुछ दवा दी गई और एक महीने बाद लौटने को कहा गया. उन्होंने सोचा कि दवा शुरू करने के तुरंत बाद उन्हें वापस नहीं जाना चाहिए. लिहाजा इन्होंने पास के पुटपाथ पर एक हफ्ते के लिए लिए रहने का फैसला किया, लेकिन 24 मार्च को पीएम ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी. ऐसे में ये अपने गांव नहीं लौट पाए. उन्होंने कहा, ‘हमे अगर दो दिन पहले लॉकडाउन के बारे में पता चल जाता तो हम वापस गांव लौट जाते. फुटपाथ पर मरने से अच्छा है कि इंसान अपने घर पर किसी बीमारी से मरे’.
‘भूख से मर रहे लोग’
सिंह कहते हैं कि एक सिख व्यक्ति हर दिन सुबह चार बजे आता था और खाना बांटता था. उन्होंने कहा, ‘वो हमें जगाता था और हमें खाना इकट्ठा करने के लिए कहता था. छोटे बच्चों वाले माता-पिता के लिए वो दूध, बॉर्नविटा भी देता था. लेकिन अब पुलिस उसे यहां खाना बांटने की अनुमति नहीं दे रही है. इसलिए सैकड़ों लोग भूख से मर रहे हैं, ‘
Delhi: Food being distributed to the needy outside Government Sarvodaya Kanya Vidyalaya in Ghazipur area. "Food is being provided at around 600 schools in Delhi," Deputy CM Manish Sisodia yesterday said. #CoronavirusLockdown pic.twitter.com/SOyereDw7b
— ANI (@ANI) March 29, 2020
सिंह की तरह कई और लोग भी इलाज कराने के लिए एम्स आए थे, लेकिन वो सब फंस गए हैं. बिहार के बांका जिले के दिहाड़ी मजदूरी करने वाली जया देवी, उनके पति और बच्चा भी फंसा है. यहां वो अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए पहुंचे हैं. उनके बच्चे के दिल में छेद है. उन्होंने कहा, ‘हमने तीन चार दिनों से कुछ नहीं खाया है. कैंटीन में 40 रुपये का खाना मिलता है. हमारे सारे पैसे खत्म हो गए हैं.’
ये एम्स में इलाज कराने आए एक-दो लोगों का हाल नहीं है, बल्कि कई लोग खाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. लेकिन ठीक तरीके से दो वक्त का खाना इन्हें नसीब नहीं हो रहा है.
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