मतलब वो तेल जो आम तौर पर हर एक घर में अपनी जगह बना चुका है।
जहाँ पहले घी और सरसों का तेल उपयोग किया जाता था, वहां अब रिफाइंड तेल की बोतलों ने घर बना लिया है।
आप दुकानों पर जा कर देखिये, आपने नाना प्रकार के रिफाइंड तेल मिल जायेंगे। चावल के तिनके से बने, करड़ी से बने, दिल के लिए अच्छे, मधुमेह के लिए अच्छे, बी पी के लिए सही और पता नहीं जाने क्या क्या। पर क्या आपको पता है ये रिफाइंड तेल हम लोगों को कितना नुक्सान पहुंचा रहे हैं?
इन तेलों को रासायनिक विलायक या तेल मिल का उपयोग करके पौधों से निकाला जाता है। फिर उन्हें अक्सर शुद्ध, परिष्कृत और कभी-कभी रासायनिक रूप से बदल दिया जाता है।
उन्हें अक्सर “दिल-स्वस्थ” लेबल किया जाता है और संतृप्त वसा के स्रोतों के लिए अनुशंसित किया जाता है, जैसे कि मक्खन और घी।
अपने संभावित स्वास्थ्य लाभों के बावजूद, कुछ वैज्ञानिक इस बात से चिंतित हैं कि लोग इन तेलों का कितना उपभोग कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने परिकल्पना की है कि ओमेगा -3 के सापेक्ष बहुत अधिक ओमेगा -6, पुरानी सूजन में योगदान दे सकता है। ये सूरजमुखी, कुसुम, कनोला या मकई के तेल में निहित हैं।
सबसे आम रोगों में से कुछ में क्रोनिक सूजन एक अंतर्निहित कारक है, जैसे हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह और गठिया।
अवलोकन संबंधी अध्ययनों में ओमेगा -6 वसा के उच्च सेवन से मोटापा, हृदय रोग, गठिया और सूजन आंत्र रोग के जोखिम में वृद्धि शामिल है।
निकल उन प्रमुख रसायनों में से एक है जिसका उपयोग प्राकृतिक तेल के प्रसंस्करण के लिए किया जाता है। लेकिन निकल की उपस्थिति मानव शरीर की श्वसन प्रणाली, यकृत, त्वचा पर कई कार्सिनोजेनिक और नकारात्मक प्रभाव पैदा करती है। उष्णकटिबंधीय में कैंसर की व्यापक वृद्धि के कारणों में से एक को परिष्कृत तेल के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
प्रसंस्करण के दौरान संरक्षक और सोडियम हाइड्रॉक्साइड भी जोड़ा जाता है जो पाचन तंत्र के लिए हानिकारक है।
रिफाइंड तेल में से गंध और चिपचिपापन हटा दिया जाता है। पर ये ही हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है। ये निकलने के बाद तेल की कोई भी उपयोगी मौलिकता नहीं रह जाती उल्टा इससे घुटनों का दर्द, ह्रदय की बीमारियां, पैरालिसिस, ब्रेन हैमरेज होने की आशंका बढ़ जाती हैं।
इसलिए, रिफाइंड तेल से बचिए और कोशिश करिये की सरसों के तेल और घी पर वापस चले जाएँ। सेहत के कम मात्रा में उपयोग करें।
चित्र स्त्रोत: गूगल
आपको ये जान कर आश्चर्य भी होगा की तेल के साथ साथ कुछ बर्तन भी हमें नुक्सान पहुंचते हैं। कितनी अजीब बात है न, मनुष्य अपने स्वास्थय के साथ खिलवाड़ पर खिलवाड़ किये जाता है फिर उनके उपय ढूंढता है।
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