कोविड-19 महामारी की वजह से खाद्य सामग्री की कमी और भूख की समस्या से निपटने में वैश्विक संस्थाएं जुट गई हैं। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने अभी से संसाधन जुटाने के लिए आगे आने को कहा है। वहीं भारत में भी इम्पैक्ट फॉर न्यूट्रिशन जैसी संस्थाओं ने भागीदार पक्षों को मिलकर कदम उठाने को कहा है।
Delhi: People make purchases at wholesale fruit and vegetable market in Okhla, amid the #CoronavirusLockdown; social distancing norms flouted. pic.twitter.com/hT9aIk0F1s
— ANI (@ANI) April 26, 2020
गौरतलब है कि वैश्विक एजेंसियों ने आशंका जताई है कि इस साल के अंत तक दुनिया में करीब 265 मिलियन (2,650 लाख) लोग भूख की समस्या का शिकार हो सकते हैं। इस आशंका के मद्देनजर ही खाद्य प्रबंधन और भुखमरी दूर करने के लिए कई वैश्विक संस्थाएं गरीब व विकासशील देशों में मदद की योजना पर मंथन कर रही हैं।
संसाधन जुटाने पर जोर
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अध्यक्ष बोरगे ब्रेंडे ने ट्वीट कर तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत बताते हुए संसाधन एकत्र करने में जुटने को कहा है। भारत मे इम्पैक्ट फॉर न्यूट्रिशन जैसी संस्थाओं ने इस समस्या के मद्देनजर अभी से बेहतर योजना की जरूरत बताई है। सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं, नियोक्ता और निजी सेक्टर को साथ लेकर गरीब व वंचित तबके तक हर हाल में खाना पहुंचाने की योजना पर काम करने का मशविरा दिया गया है।
पिछड़ों इलाकों पर देना होगा ध्यान
सीआईआई की नेशनल न्यूट्रिशन कमेटी की चेयरमैन विनीता बाली का कहना है कि लोगों की सुरक्षा का भोजन और बुनियादी पोषण से उतना ही लेना-देना है, जितना कोविड के संदर्भ में शारीरिक संपर्क को कम करने के लिए किए जा रहे उपाय। उन्होंने कहा कि सभी भागीदार पक्षों को मिलकर इस दिशा में काम करने की जरूरत है क्योंकि गरीब व वंचित तबके तक भोजन पहुंचाना बड़ी चुनौती है। लाखों बच्चे स्कूल बंद होने की वजह से पोषाहार और खाने से वंचित हैं। आदिवासी व पिछड़ों इलाकों पर खास फोकस की जरूरत है। हमारे पास संसाधन हैं, हमें इसे सुधारना होगा क्योंकि समस्या आने वाले दिनों में गंभीर होगी।
“How is your health? Take special care of it” — 83-year-old Kuldip Raj Gupta, a veteran BJP leader in Jammu, was surprised when he heard the Prime Minister asking him this on the other side of the phone line.
That is such a kind thing for any leader to do.https://t.co/SBLVczbqJz
— Amit Malviya (@amitmalviya) April 25, 2020
खाद्य सामग्री की कमी का संकट
एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले से करीब 135 मिलियन (1,350 लाख) लोग खाद्य सामग्री की कमी से जूझ रहे हैं। महामारी के चलते 130 मिलियन (1,300 लाख) लोग इसमें और जुड़ सकते हैं।
भारत भी अछूता नहीं
जिन देशों पर इसका असर होने की बात कही जा रही है, उनमें भारत और अफ्रीका जैसे देश भी शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि गरीब व विकासशील देशों पर ज्यादा असर होगा। इस बार महामारी की मार ऐसी है कि कई बड़े देश भी इसके सामाजिक साइड इफेक्ट से प्रभावित होंगे।
देश में बेहतर इंतजाम
जानकारों का कहना है कि भारत जैसे देश ने फिलहाल विभिन्न सामाजिक योजनाओं व संस्थाओं के जरिए अब तक बेहतर प्रबंधन किया है। हालांकि, जिस तरह की चुनौती है, उसके मद्देनजर दीर्घकालिक स्थायी योजना की जरूरत है।
Posted by EK DAANA on Tuesday, April 14, 2020
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