बीजिंग: चीन ने गुरुवार को कहा कि भारत को राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ड एंड रोड इनीशियेटिव’ (बीआरआई) पर अपनी आपत्तियां छोड़ देनी चाहिएं और परियोजना में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि इससे कश्मीर मुद्दे पर बीजिंग का रुख नहीं बदलेगा. चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) वाली बीआरआई परियोजना को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की पांच साल में एक बार होने वाली हाल ही में संपन्न कांग्रेस में पार्टी के संविधान में शामिल किया गया है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने आज यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘हम बेल्ट एंड रोड इनीशियेटिव में भागीदारी के लिए भारत समेत अन्य देशों का स्वागत करते हैं.’’ उन्होंने कहा कि बीआरआई का उद्देश्य सभी देशों की साझा समृद्धि और क्षेत्रीय देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा देना है.
शुआंग ने कहा, ‘‘यह पहल संबंधित मुद्दों पर चीन के रुख को प्रभावित नहीं करेगी और संबंधित पहलों पर हमारी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा.’’ भारत ने सीपीईसी का विरोध किया है क्योंकि यह विवादित क्षेत्र से गुजर रहा है. भारत ने मई में चीन द्वारा आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार किया था.
वैश्विक समुदाय को आतंकवाद से लड़ने में पाक के प्रयासों को मानना चाहिए : चीन
इससे पहले पाकिस्तान पर आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने तथा उनकी पनाहगाहों को तबाह करने के लिए बढ़ते दबाव के बीच उसके करीबी सहयोगी चीन ने गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कहा कि इस्लामाबाद द्वारा आतंकवाद के खिलाफ किये जा रहे प्रयासों को समझा जाए.
पाकिस्तान में आतंकवाद की पनाहगाहों को बर्दाश्त नहीं किए जाने संबंधी अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के नयी दिल्ली में दिए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि इस्लामाबाद ने आतंकवाद निरोधक मोर्चे पर कई सालों से सकारात्मक प्रयास किये हैं और बड़ी कुर्बानियां दी हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान ने वैश्विक शांति के लिए और क्षेत्रीय स्थिरता बनाये रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद निरोधक कार्रवाई में पाकिस्तान के प्रयासों को समझना चाहिए.’’ हालांकि गेंग ने कहा कि चीनी पक्ष आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन करता है.