धृतकुमारी (alovera)
यह धूप से हुये कालेपन को दूर करता है और इसका जूस पाचन तंत्र को भी ठीक करता है। हालांकि यह खाने में इस्तेमाल नहीं होता है लेकिन इसका जैल त्वचा को मुलायम बनाता है। यह त्वचा में पानी की पूर्ति करता है। मोटी पत्तियों को तोड़कर उनका जैल लगाएँ जिससे बेकार पदार्थ त्वचा से बाहर निकलेंगे और यह सूर्य के त्वचा पर प्रभाव को भी कम करता है।
तुलसी
यह परंपरागत औषधि है जो कि बहुत से भारतीय घरों में उगाई जाती है। यह सिर दर्द और पेन रिलीफ़ में भी कारगर है। यह मीठी, सुगंधित, वार्षिक औषधि गमलों में आसानी से उगाई जा सकती है। उबले पानी में तुलसी की पत्तियों को डालकर पीने से लाभ होता है।
पुदीना
पाचन से संबन्धित समस्याओं और जी मिचलने की स्थिति में आप पुदीने की चाय ले सकते हैं। पुदीना के पत्तों की चाय पेट में ऐंठन, मतली, और पेट फूलना आदि का निवारण करती है। यह एक प्राकृतिक सर्दी खाँसी की दवा के रूप में भी काम करता है, एक उथले बर्तन में उबले पानी में पुदीने की पत्तियाँ डालें। सिर पर तौलिया डालकर इस पर झुक जाएँ और सांस की के साथ यह भाप लें।
मेंहदी
यह सर्दी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह बारहमासी पौधा सूरज की धूप में बढ़ता है। एक चुटकी मेहंदी की चाय बनाकर पीने से मौसमी बीमारियाँ और विकार दूर होते हैं।
अजवायन
यह एक एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक है। इसे सूखी और हल्की मिट्टी में और सूर्य की रोशनी में उगाएँ। यह एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट और एक अच्छा एंटीसेप्टिक है। वजन कम करने में मदद करता है।
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