सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने लिपूलेख दर्रे वाली सड़क निर्माण पर नेपाल की आपत्ति पर हैरानी जताई है. नरवणे ने बेविनार में चीन का बिना नाम लिए ये बयान दिया है. हाल ही में रक्षा मंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सड़क का उद्धाटन किया था. ये सड़क कैलाश मानसरोवर के लिए जाती है.
नई दिल्ली: कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए उत्तराखंड में तैयार की गई नई सड़क पर पनपे विवाद के बीच थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने ये कहकर सनसनी फैला दी है कि किसी और के के इशारे पर नेपाल इस सड़क पर आपत्ति जता रहा है.
Delighted to inaugurate the Link Road to Mansarovar Yatra today. The BRO achieved road connectivity from Dharchula to Lipulekh (China Border) known as Kailash-Mansarovar Yatra Route. Also flagged off a convoy of vehicles from Pithoragarh to Gunji through video conferencing. pic.twitter.com/S8yNeansJW
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 8, 2020
शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में डिफेंस थिंकटैंक, ‘मनोहर पर्रीकर आईडीएसए’ द्वारा आयोजित एक वेबिनार में जनरल नरवणे ने चीन का बिना नाम लिए कहा कि लिपूलेख सड़क पर नेपाल ‘किसी और के इशारे’ पर आपत्ति जता रहा है. क्योंकि पिथौराड़ागढ़ के धारचूला से लिपूलेख तक जो हाल ही में बीआरओ यानि बॉर्डर रोड ऑर्गेनाईजेशन ने सड़क तैयार की है वो काली नदी के पश्चिम में है. जनरल नरवणे के मुताबिक, विवाद काली नदी के पश्चिम क्षेत्र पर है. सेना प्रमुख ने ये बयान एक रिटायर्ड वाइस एडमिरल कए सवाल पर दिया था.
काला पानी नाम के इस क्षेत्र पर भारत और नेपाल के बीच पुराना विवाद है, जिसको लेकर दोनों देशों में राजनयिक स्तर पर बातचीत भी हुई है. लेकिन हाल ही में जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस नई सड़क का उद्घाटन किया तो नेपाल ने एतराज़ जताया था. हालांकि, विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर सफाई भी दी थी.
उत्तराखंड की ये सड़क करीब 17 हजार फीट की ऊंचाई पर तैयार की है गई है और भारत-चीन और नेपाल के ट्राईजंक्शन के पास से गुजरती हुई लिपूलेख तक जाती है. लिपूलेख से आगे तिब्बत की इलाका है. इस ट्राईजंक्शन के काला-पानी एरिया को लेकर भारत और नेपाल में विवाद चल रहा है. यही वजह है कि भारत के लिए इस जगह तक एक पक्की सड़क बनाने की बेहद जरूरत थी, ताकि जरूरत पड़ने पर सैनिकों की मूवमेंट तेजी से की जा सके.
Tamil Nadu: Business at the flower market in Coimbatore has been badly hit amid #Coronaviruslockdown. A flower trader says, "it has become difficult for us to survive with each passing day. We urge Govt to help us." (15.5) pic.twitter.com/2z2ckF2PjL
— ANI (@ANI) May 16, 2020
आपको बता दें कि डोकलम विवाद के दौरान जब चीन को पांव पीछे खीचने पड़े थे तब चीन ने जिन ट्राई-जंक्शन को लेकर आंखे तिरछी करने की कोशिश की थी उनमें से एक यही काला-पानी इलाका है. यही वजह है कि ये सड़क सामरिक तौर से बेहद महत्वपूर्ण है.
खास बात ये है कि करीब 100 किलोमीटर लंबी इस सड़क के बनने से कैलाश मानसरोवर की यात्रा भी अब एक हफ्ते में पूरी हो सकेगी. अभी सिक्किम के नाथू ला और नेपाल से कैलाश मानसरोवर की यात्रा में 2-3 हफ्ते लग जाते हैं. यात्रा के दौरान 80 प्रतिशत सफर चीन (तिब्बत) में करना पड़ता है और बाकी 20 प्रतिशत भारत में था. लेकिन पिथौराड़ागढ़ की सड़क बनने से अब ये सफर उल्टा हो जाएगा. यानि अब 84 प्रतिशत भारत में होगा और मात्र 16 प्रतिशत तिब्बत में होगा. कैलाश मानसरोवर के लिए पहले भी इस सड़क का इस्तेमाल होता था लेकिन पहले ये कच्ची सड़क थी और यात्रियों को पैदल जाना होता था जिससे एक लंबा समय लगता था. लेकिन अब इस सड़क पर लिपूलेख तक गाड़ी जा सकती है.
Telangana: A group of migrant workers was seen walking on foot in Hyderabad towards their native place,amid #CoronavirusLockdown.A worker says,"we have come from Tandur&we are walking towards our homes in UP&Bihar. It's been 2 months we haven't received any help from govt" (15.5) pic.twitter.com/JhcHL8vsmv
— ANI (@ANI) May 15, 2020
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