डब्ल्यूएचओ (WHO) की ओर से इस बारे में ट्वीट कर जानकारी दी गई है. ट्वीट में कहा गया है कि एक्जीक्यूटिव ग्रुप ने हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) के ट्रायल पर अस्थाई रोक लगा दी है.
नई दिल्ली: चीन से सांठगांठ का आरोप लगने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक और फैसले पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं. इस बार इस वैश्विक संगठन ने कोविड-19 संक्रमितों के इलाज को लेकर बड़ा ऐलान किया है. डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज के लिए मलेरिया की दवा हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) के ट्रायल पर अस्थाई रोक लगा दी है. लोग इसके पीछे चीन की साजिश बता रहे हैं. डब्ल्यूएचओ का यह फैसला उस समय सामने आया है जब भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय हाल ही में एडवाइजरी जारी कर इस दवा के अधिक इस्तेमाल को लेकर मंजूरी दी थी.
डब्ल्यूएचओ की ओर से एख ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है कि हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) के ट्रायल पर अस्थाई रोक लगा दी है. डब्ल्यूएचओ का डाटा सेफ्टी मॉनीटरिंग बोर्ड इस दवा के डाटा का आकलन कर रहा है. हाल ही में भारत ने हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) का इस्तेमाल करने को लेकर संशोधित एडवाइजरी जारी की थी. इसमें गैर कोविड-19 अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्यकर्मी भी इस दवा का इस्तेमाल कर सकेंगे.
चीन की साजिश का आरोप
डब्ल्यूएचओ के इस फैसले के बाद आरोप लगाए जा रहे हैं कि इसके पीछे चीन की साजिश है. हैरानी की बात है कि कोरोना के इलाज के लिए तीन दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन डब्ल्यूएचओ ने सिर्फ भारत की हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन पर ही रोक लगाई है. इससे पहले अमेरिका भी डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने का आरोप लगा चुका है.