व्यापार, कूटनीति और सैन्य आक्रामकता किसी भी मोर्चे पर भारत चीन से नही झुकेगा। चीन को हर मोर्चे पर उसी की भाषा मे जवाब देने की तैयारी की गई है। कूटनीतिक स्तर पर ताइवान और हांगकांग में फंसा चीन भारत से ‘वन चाइना पॉलिसी’ पर ठोस आश्वासन चाहता है। ताइवान के मुद्दे पर अमेरिकी रुख को भारत का परोक्ष समर्थन चीन को नागवार लगा है। लेकिन भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अगर चीन को भारत की संवेदनशीलता का भी ध्यान रखना चाहिए।
सत्ताधारी दल के दो सांसदों के ताईवान राष्ट्रपति के शपथ समारोह में शामिल होने पर भी चीन ने आपत्ति जताई थी। मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के शपथ ग्रहण समारोह में वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए थे।
Assam: Floods in parts of Dibrugarh district due to incessant rain in the region. (26.05.20) pic.twitter.com/BVUobetz6i
— ANI (@ANI) May 27, 2020
चीन हुआ बेचैन:
दिल्ली में चीनी दूतावास के काउंसलर लियू बिंग ने समारोह में भारत की भागीदारी के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। इसके लिए उन्होंने सांसद लेखी और कासवान के सामने लिखित शिकायत भी दी, जिसमें उन्होंने दोनों सांसदों की तरफ से दिए गए बधाई संदेश को गलत बताया है। इस कार्यक्रम में अमेरिकी विदेश मंत्री सहित दुनिया के कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
ताइवान को समर्थन से झुंझलाहट:
सूत्रों ने कहा चीन को व्यापारिक मोर्चे पर झटका लग रहा है। चीन से विदेशी कंपनियां हटना चाहती हैं। कोविड संकट में सार्थक भूमिका की वजह से ताइवान को काफी समर्थन मिला है, जबकि चीन को दुनिया संदेह की नजर से देख रही है। भारत की भूमिका संकट के वक्त बढ़ी है। अमेरिका और भारत की रणनीतिक साझेदारी भी स्पष्ट नजर आई है। इन सबसे चीनी शासन में झुंझलाहट है।
ध्यान भटकाने की कोशिश:
सूत्रों का कहना है कि कई मोर्चो पर उलझा चीन अपने खिलाफ बने माहौल से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है। गालवां घाटी में चीन के कदम को भारत चीन की बौखलाहट से जोड़कर देख रहा है। सूत्रों का कहना है कि इस इलाके में कभी भी चीन ने इस तरह का आक्रामक रुख नहीं दिखाया। इसलिए माना जा रहा है कि चीन जानबूझकर दबाव बनाने के लिए इस तरह का कदम उठा रहा है। जिससे वह व्यापार के मोर्चे पर भारत पर दबाव बना सके। साथ ही अमेरिका सहित अन्य देशों की रणनीतिक मोर्चेबंदी से भारत को दूर किया जा सके।
बातचीत जारी, तनाव बरकरार:
सूत्रों ने कहा, पर्दे के पीछे स्थिति सामान्य करने की कोशिश हो रही है। लेकिन भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह अपना कदम पीछे नही खींचेगा। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच करीब 20 दिन तक चले गतिरोध के मद्देनजर भारतीय सेना ने उत्तर सिक्किम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में अपनी मौजूदगी उल्लेखनीय ढंग से बढ़ाई है और यह संदेश दिया है कि भारत चीन के किसी भी आक्रामक सैन्य रुख के आगे रुकने वाला नहीं है।
When Coronavirus struck, the Class of 2020 saw their lives, plans, and milestones change unexpectedly.
President @realDonaldTrump and @FLOTUS want these students to know that our country stands with them!
1600 Daily: https://t.co/A68ueVC88u pic.twitter.com/PsVpba8NiP
— The White House (@WhiteHouse) May 27, 2020
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