जासूसी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण भारत सरकार द्वारा निषिद्ध घोषित किए गए पाकिस्तान उच्चायोग के दोनों कर्मियों ने सोमवार को अटारी-वाघा सीमा से भारत छोड़ पाकिस्तान रवाना हो गए। अबिद हुसैन और मुहम्मद ताहिर को रविवार को सैन्य खुफिया के स्पेशल सेल और आईबी टीम द्वारा एक भारतीय से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के दस्तावेज प्राप्त करते हुए और उसे पैसे और एक आई-फोन सौंपते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था।
भारतीय अधिकारियों ने बताया कि उन्हें राजनयिक मिशन के सदस्यों के रूप में अपने पद का बेजा उपयोग कर संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त होने के लिए निषिद्ध व्यक्ति घोषित किया गया था और 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने के लिए कहा गया था। उन्होंने शुरू में दावा किया कि वे भारतीय नागरिक थे। उन्होंने नकली आधार कार्ड भी बनवा रखे थे। बाद में पूछताछ के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि वे पाकिस्तान उच्चायोग में अधिकारी हैं और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के लिए काम कर रहे हैं।
जासूसी के आरोपों में भारत द्वारा पाकिस्तान उच्चायोग के अवांछित करार दिए गए दो अधिकारियों की मंशा रेलगाड़ियों से सेना की इकाइयों की आवाजाही का विस्तृत ब्यौरा हासिल करना था। यह जानकारी सोमवार को पुलिस ने दी। आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को बताया कि मध्य दिल्ली के करोल बाग से दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने दो अधिकारियों आबिद हुसैन और मोहम्मद ताहिर को पकड़ा था। वे धन के बदले एक भारतीय नागरिक से भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े संवेदनशील दस्तावेज हासिल कर रहे थे।
पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में पता चला कि हुसैन कई फर्जी पहचान के माध्यम से काम करता है और संगठनों एवं विभागों के लोगों को लालच देता है। उसने भारतीय रेलवे में काम करने वाले एक व्यक्ति से संपर्क साधने के लिए खुद को मीडियाकर्मी का भाई गौतम बताया। अतिरिक्त जनसंपर्क अधिकारी (दिल्ली पुलिस) अनिल मित्तल ने बताया कि उसने यह कहकर विश्वास जीतने का प्रयास किया कि उसका भाई भारतीय रेलवे पर एक खबर कर रहा है जिसके लिए उसे रेलगाड़ियों की आवाजाही के बारे में सूचना चाहिए।
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