चीन के सुर बदल: भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने को प्रतिबद्ध

एक महीने से अधिक समय तक लद्दाख में सीमा पर तनातनी के बाद अब चीन के सुर बदल गए हैं। शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत से पहले चीन ने कहा है कि वह भारत के साथ सभी प्रासंगिक मुद्दों को उचित तरीके से सुलझाने को प्रतिबद्ध है। इससे पहले दोनों देशों की सेनाएं भी कुछ पीछे हट चुकी हैं।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने शुक्रवार को मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ”चीन और भारत के बीच सीमा क्षेत्र में हालात स्थिर और नियंत्रणयोग्य है।” शनिवार को सैन्य अधिकारियों के बीच होने जा रही बैठक को लेकर सवाल पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा, ”हमारे पास सीमा सबंधी अच्छा तंत्र मौजूद है और हम सैन्य व कूटनीतक चैनलों के जरिए करीबी संपर्क में रहते हैं। हम प्रासंगिक मुद्दों के उचित समाधान को प्रतिबद्ध हैं।”

कल सीमा पर भारत और चीन के सैन्य अधिकारी विवाद को सुलझाने की कोशिश करेंगे। बताया जा रहा है कि लेह स्थित 14 कॉर्प्स के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भारत की ओर पक्ष रख सकते हैं। यह बातचीत सीमा पर ही होगी। इससे पहले स्थानीय कमांडर्स और मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच 10 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला है।

सड़क बनाने को लेकर हुआ था विवाद
भारत द्वारा पूर्वी लद्दाख के पांगगोंग त्सो (झील) इलाके में एक खास सड़क और गलवान घाटी में डारबुक-शायोक-दौलत बेग ओल्डी सड़क को जोड़ने वाली एक सड़क को बनाने के प्रति चीन के विरोध से पैदा हुआ था।

पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में गत पांच मई को दोनों देशों के सैनिक लोहे की छड़ों और लाठी-डंडे लेकर आपस में भिड़ गए थे। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों देशों के कई सैनिक घायल हुए थे। इसके बाद, सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास भारत और चीन के लगभग 150 सैनिक आपस में भिड़ गए, जिसमें दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।

डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था
दोनों देशों के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था। भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है। वहीं, भारत इसे अपना अभिन्न अंग करार देता है। दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा विवाद के अंतिम समाधान तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखना जरूरी है।

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